उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की वकालत की, आचार संहिता के कारण 175 दिन बर्बाद होने का दिया हवाला

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मुख्यमंत्री ने कहा कि बार-बार चुनाव होने से मतदाताओं का उत्साह कम हो जाता है, जिससे खासकर पहाड़ी इलाकों में मतदान प्रतिशत घटता है। उन्होंने यह भी बताया कि आचार संहिता लागू होने से 175 दिनों का विकास कार्य प्रभावित हुआ है।

देहरादून: ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की नीति पर सीएम धामी ने जोर दिया, कहा- उत्तराखंड को मिलेगा बड़ा लाभ

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ नीति का जोरदार समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि इस नीति से हिमालयी राज्य को आर्थिक और व्यवस्थागत दोनों तरह से बड़ा लाभ मिलेगा। साथ ही इससे शासन व्यवस्था भी सुचारू रूप से चलेगी और भारी खर्च की बचत होगी।

बुधवार को मसूरी रोड स्थित एक होटल में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विषय पर हुई संयुक्त संसदीय समिति की बैठक को संबोधित करते हुए सीएम धामी ने कहा कि अलग-अलग समय पर होने वाले चुनाव विकास कार्यों में बड़ी रुकावट डालते हैं और प्रशासनिक व्यवस्थाएं प्रभावित होती हैं।

बार-बार चुनाव से विकास पर ब्रेक, तीन साल में 175 दिन ठप रहा शासन: सीएम धामी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि अलग-अलग समय पर चुनाव होने से बार-बार आदर्श आचार संहिता लागू होती है, जिससे राज्य के सभी कार्य रुक जाते हैं। उन्होंने बताया कि पिछले तीन वर्षों में लोकसभा, विधानसभा और निकाय चुनावों के चलते उत्तराखंड में शासन की नीतिगत निर्णय प्रक्रिया 175 दिनों तक प्रभावित रही।

इस मौके पर संयुक्त संसदीय समिति के अध्यक्ष पी.पी. चौधरी ने कहा कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर रिपोर्ट के लिए अभी कोई तय समयसीमा नहीं है। उन्होंने कहा, “यह काम राष्ट्रहित से जुड़ा है, इसलिए इसमें जल्दबाज़ी नहीं, बल्कि गंभीरता ज़रूरी है।” उन्होंने बताया कि समिति पूरे देश में इस विषय पर विचार-विमर्श करेगी।

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एक साथ चुनाव से 5 लाख करोड़ की बचत संभव: सीएम धामी और पीपी चौधरी ने गिनाए फायदे

संयुक्त संसदीय समिति के अध्यक्ष पी.पी. चौधरी ने कहा कि अगर देशभर में चुनाव एक साथ कराए जाएं, तो इससे देश की अर्थव्यवस्था को करीब 5 लाख करोड़ रुपये (जो कि GDP का लगभग 1.6% है) का फायदा होगा।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी इस मुद्दे पर बात करते हुए बताया कि फिलहाल विधानसभा चुनावों का पूरा खर्च राज्य सरकार उठाती है, जबकि लोकसभा चुनावों का खर्च केंद्र सरकार वहन करती है। उन्होंने कहा, “अगर दोनों चुनाव एक साथ कराए जाएं, तो राज्य और केंद्र दोनों पर पड़ने वाला वित्तीय बोझ आधा हो जाएगा। इससे कुल चुनावी खर्च में करीब 30 से 35 प्रतिशत की बचत हो सकती है।”

सीएम धामी ने आगे कहा कि यह बचत स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क, जल, कृषि और महिला सशक्तिकरण जैसे अहम क्षेत्रों में खर्च की जा सकती है, जिससे राज्य के समग्र विकास को नई गति मिलेगी।

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