देहरादून के रिटायर्ड कर्नल सुरजीत सिंह के साथ हुआ साइबर फ्रॉड पूरे उत्तराखंड में चर्चा का विषय बन गया है। एक सुनियोजित तरीके से विदेशी नागरिकों के गिरोह ने फेसबुक के जरिए उन्हें दुर्लभ हर्बल बीजों का लालच देकर 85 लाख रुपये ठग लिए। इस मामले का खुलासा तब हुआ जब उत्तराखंड एसटीएफ ने गहन जांच कर मोहाली से तीन विदेशी नागरिकों को दबोच लिया।
कैसे हुआ पूरा खेल?
यह मामला जुलाई 2025 में सामने आया। कर्नल सुरजीत सिंह ने साइबर थाना में शिकायत दर्ज कराई कि फेसबुक पर बनी एक फर्जी प्रोफाइल से उन्हें संपर्क किया गया था।
- 12 जून 2025 को कर्नल से “सारा वाल्टर” नाम की महिला ने दोस्ती बढ़ाई। उसने खुद को यूक्रेन की निवासी और ब्रिटेन के ब्रिस्टल स्थित रॉयल इंफर्मरी अस्पताल में नर्स बताया।
- धीरे-धीरे बातचीत का दायरा बढ़ा और फिर उसे एलिजाबेथ नामक एक महिला से जोड़ा गया।
- एलिजाबेथ ने कर्नल को “फ्रैंक” नाम के व्यक्ति से मिलवाया, जिसने खुद को एबॉट फार्मास्यूटिकल कंपनी का खरीद प्रबंधक बताया।
इसके बाद कर्नल को विश्वास दिलाया गया कि कैंसर और अवसाद जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज में उपयोग होने वाले दुर्लभ भारतीय हर्बल बीज कंपनी को बड़ी मात्रा में चाहिए।
बीजों का लालच और 18 दिन में 85 लाख की ठगी
कथित कंपनी ने शुरुआत में 100 पैकेट बीज खरीदने का ऑर्डर दिया। हर पैकेट की कीमत 81 हजार रुपये बताई गई।
- 12 से 14 जून और फिर 14 से 29 जून के बीच कर्नल ने कई बार रकम ट्रांसफर की।
- कुल मिलाकर 85 लाख रुपये बताए गए खातों में भेजे गए।
- लेकिन, पैसे भेजने के बाद न तो बीज मिले और न ही कंपनी का कोई संपर्क।
जांच में यह भी सामने आया कि जिन नामों और कंपनियों का इस्तेमाल हुआ, वे सभी फर्जी थे। यहां तक कि “सोनम थापा” नाम के किसान का भी सिर्फ नाम इस्तेमाल किया गया था।
STF की बड़ी कार्रवाई
शिकायत मिलते ही उत्तराखंड एसटीएफ ने जांच शुरू की। पुलिस ने साइबर फ्रॉड के पैटर्न को खंगालते हुए पंजाब के मोहाली से तीन विदेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया।
गिरफ्तार आरोपियों के नाम हैं:
- हेनरी जेरी
- नाकिगोजी फीजा
- एलिजाबेथ
ये सभी अफ्रीकी देशों, विशेषकर घाना के नागरिक बताए जा रहे हैं। जांच में पता चला कि यह गिरोह लंबे समय से सोशल मीडिया पर सक्रिय था और देशभर में करोड़ों की ठगी कर चुका है।
एसटीएफ प्रमुख नवनीत सिंह ने बताया कि आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता और बीएनएसएस की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है।
कर्नल जैसे पढ़े-लिखे और जागरूक लोग भी शिकार क्यों?
इस मामले की सबसे बड़ी सीख यही है कि साइबर ठग अब केवल साधारण लोगों को ही निशाना नहीं बनाते, बल्कि पढ़े-लिखे और समझदार लोग भी इनके जाल में फंस सकते हैं।
रिटायर्ड कर्नल जैसे शिक्षित और अनुभवी व्यक्ति का 85 लाख गंवा बैठना इस बात का सबूत है कि साइबर अपराधी अपने तरीकों में कितने चालाक हो गए हैं।
देहरादून और साइबर अपराध
देहरादून और आसपास के इलाकों में हाल के वर्षों में साइबर फ्रॉड के मामले तेजी से बढ़े हैं। उत्तराखंड जैसे शांत और छोटे राज्य में लोग ऑनलाइन लेनदेन और सोशल मीडिया का इस्तेमाल तो कर रहे हैं, लेकिन जागरूकता की कमी के कारण अक्सर जालसाजों का शिकार हो जाते हैं।
यह घटना इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें स्थानीय स्तर पर नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय गिरोह का हाथ था।
निष्कर्ष
देहरादून के रिटायर्ड कर्नल से हुई 85 लाख की ठगी सिर्फ एक व्यक्ति का नुकसान नहीं है, बल्कि यह पूरे समाज के लिए एक चेतावनी है। सोशल मीडिया पर दोस्ती और बिज़नेस ऑफर्स हमेशा भरोसेमंद नहीं होते।
पुलिस की इस कार्रवाई से यह साफ संदेश गया है कि अपराधी चाहे विदेशी ही क्यों न हों, कानून के शिकंजे से बच नहीं सकते। लेकिन इसके साथ ही हमें भी सतर्क रहना होगा और डिजिटल दुनिया में हर कदम सोच-समझकर उठाना होगा।