उत्तराखंड के दुर्गम पहाड़ी इलाकों में अक्सर बारिश और भूस्खलन के कारण आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। ऐसी ही परिस्थितियों ने हाल ही में चार छात्रों को मजबूर कर दिया कि वे अपने सपनों और करियर को बचाने के लिए एक अनोखा रास्ता चुनें। राजस्थान के चार छात्रों ने बीएड की परीक्षा देने के लिए हेलिकॉप्टर से मुनस्यारी (जिला पिथौरागढ़) की उड़ान भरी। यह खबर सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गई और इन छात्रों के जज़्बे की हर जगह सराहना हो रही है।
क्यों उठाना पड़ा यह कदम?
इन छात्रों के नाम ओमाराम जाट, मंगाराम जाट, प्रकाश गोदारा जाट और नारपत कुमार हैं। ये सभी राजस्थान के बालोतरा क्षेत्र से आते हैं और उत्तराखंड ओपन यूनिवर्सिटी से बीएड की पढ़ाई कर रहे हैं। परीक्षा का सेंटर आर.एस. तोलिया पीजी कॉलेज, मुनस्यारी रखा गया था।
छात्रों ने बताया कि वे 31 अगस्त को हल्द्वानी पहुँचे, लेकिन वहां जानकारी मिली कि मुनस्यारी जाने वाले सभी मुख्य रास्ते लगातार भूस्खलन और बारिश की वजह से बंद पड़े हैं। उस समय उनके सामने सबसे बड़ा सवाल यह था कि परीक्षा कैसे दी जाए, क्योंकि पेपर छूट जाने का मतलब था कि उनका पूरा साल खराब हो जाता।
हेलिकॉप्टर से पहुंचा सपना
इसी दौरान उन्हें जानकारी मिली कि हल्द्वानी और मुनस्यारी के बीच हेरिटेज एविएशन की हेलिकॉप्टर सेवा संचालित होती है। छात्रों ने तुरंत कंपनी के सीईओ से संपर्क किया और अपनी समस्या बताई।
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए कंपनी ने दो पायलटों की व्यवस्था की और छात्रों को हल्द्वानी से मुनस्यारी तक हेलिकॉप्टर से पहुँचाया। इस यात्रा का किराया प्रति छात्र करीब 5,200 रुपये पड़ा। हालांकि यह रकम आम विद्यार्थियों के लिए ज्यादा हो सकती है, लेकिन अपने पूरे साल को बचाने के लिए छात्रों ने इसे बेहतर विकल्प माना।
सोशल मीडिया पर वायरल हुई कहानी
चारों छात्रों की यह अनोखी पहल अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है। लोग इनकी लगन और पढ़ाई के प्रति समर्पण की तारीफ कर रहे हैं। कई लोगों ने मज़ाक में कहा कि ये छात्र तो “हेलीकॉप्टर से उड़कर डिग्री लेने” वाले पहले विद्यार्थी बन गए, वहीं गंभीरता से देखने पर यह कहानी पहाड़ी इलाकों की वास्तविक समस्याओं को भी उजागर करती है।
मुनस्यारी की चुनौतीपूर्ण भौगोलिक स्थिति
मुनस्यारी उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले का एक खूबसूरत लेकिन बेहद दुर्गम इलाका है। इसे ‘छोटी कश्मीर’ भी कहा जाता है। यहां पहुँचने के लिए लंबी पहाड़ी सड़कों से होकर गुजरना पड़ता है, जो बरसात के मौसम में अक्सर बंद हो जाती हैं। यही वजह है कि स्थानीय लोगों को भी अस्पतालों, बाज़ारों और शैक्षिक संस्थानों तक पहुँचने में भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
निष्कर्ष
राजस्थान के चार छात्रों की यह घटना केवल एक खबर नहीं, बल्कि पढ़ाई के प्रति समर्पण और कठिन परिस्थितियों में हार न मानने की मिसाल है। इसने एक तरफ छात्रों की जिद और जज़्बे को उजागर किया, तो दूसरी ओर यह भी दिखाया कि पहाड़ी इलाकों की कनेक्टिविटी और इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार की कितनी सख्त ज़रूरत है।
अगर सरकार और विश्वविद्यालय भविष्य में ऐसी परिस्थितियों से निपटने के लिए बेहतर योजनाएं बनाते हैं, तो न केवल छात्रों का समय बचेगा, बल्कि पहाड़ों में रहने वाले आम लोगों की ज़िंदगी भी आसान होगी।