Uttarakhand Couple Running Fake Medicine: उत्तराखंड के ‘बंटी-बबली’ गिरफ्तार, चलाते थे नकली दवाओं का करोड़ों का कारोबार

Rishab Gusain
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देहरादून के औद्योगिक क्षेत्र सेलाकुई से एक बड़ी आपराधिक साजिश का पर्दाफाश हुआ है। उत्तराखंड एसटीएफ ने नकली दवाओं का करोड़ों का कारोबार करने वाले दंपति सरगना को पंजाब से गिरफ्तार किया है। चौंकाने वाली बात यह है कि यह दंपति कोरोना काल के दौरान भी नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बेच चुका है, जिससे कई लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ हुआ।

कैसे हुआ खुलासा?

पूरे मामले की शुरुआत 1 जून को हुई, जब सेलाकुई इंडस्ट्रियल एरिया से एक आरोपी संतोष कुमार को पकड़ा गया। उसके पास से ब्रांडेड कंपनियों के नकली रैपर, बॉक्स और क्यूआर कोड बरामद किए गए। आगे की जांच एसटीएफ को सौंपी गई, जिसके बाद परत दर परत पूरी साजिश खुलती चली गई।

जांच में सामने आया कि इस रैकेट का संचालन प्रदीप कुमार और उसकी पत्नी श्रुति डावर (पानीपत, हरियाणा निवासी) कर रहे थे। दोनों ने मिलकर साईं फार्मा नाम से फर्म खोली और ब्रांडेड दवाओं की नकल कर बड़े पैमाने पर उत्पादन व सप्लाई का नेटवर्क खड़ा कर दिया।

फिल्मी स्टाइल में कारोबार

एसटीएफ की पड़ताल ने यह भी उजागर किया कि प्रदीप और श्रुति की जोड़ी ने बाकायदा फिल्मी अंदाज में इस गैरकानूनी कारोबार को अंजाम दिया। इसलिए उन्हें पुलिस ने मजाकिया अंदाज में “उत्तराखंड के बंटी-बबली” कहा।

  • नकली रैपर सेलाकुई से तैयार कराए जाते।
  • एल्युमिनियम फॉयल हिमाचल से मंगाई जाती।
  • टैबलेट और कैप्सूल हरिद्वार व राजस्थान की फैक्ट्रियों में बनाए जाते।
  • पैकिंग के बाद एंबुलेंस के जरिए उत्तराखंड, यूपी, राजस्थान, पंजाब और हरियाणा तक सप्लाई की जाती।
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यह सुनियोजित तंत्र साफ दिखाता है कि इस गिरोह का नेटवर्क कितना मजबूत और खतरनाक था।

दो साल में 14 करोड़ का लेन-देन

एसटीएफ के मुताबिक, प्रदीप कुमार के बैंक खातों की जांच में केवल दो साल में 14 करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन मिला है। यह रकम केवल नकली दवाओं के सौदे से जुड़ी है। इसके अलावा भारी मात्रा में नकद लेन-देन भी किया गया।

अस्पताल और मेडिकल स्टोर तक फैला कारोबार

चौंकाने वाली जानकारी यह भी सामने आई कि आरोपी प्रदीप ने देहरादून में एक निजी अस्पताल के भीतर केयर प्वाइंट मेडिकल स्टोर भी पार्टनरशिप में चलाया। वहां पर भी मरीजों को नकली दवाएं बेची जाती थीं। बाद में विवाद के चलते वह वहां से अलग हो गया, लेकिन गैरकानूनी धंधा जारी रखा।

कोरोना काल का काला सच

कोविड महामारी के दौरान जब पूरा देश जीवनरक्षक इंजेक्शन रेमडेसिविर के लिए संघर्ष कर रहा था, उस समय इस गिरोह ने नकली इंजेक्शन बनाकर बाजार में बेचे। सोचिए, जिन मरीजों और उनके परिजनों ने भरोसा करके ये दवाएं खरीदी होंगी, उनके साथ कितनी बड़ी धोखाधड़ी हुई। यह केवल अपराध नहीं, बल्कि मानवता के खिलाफ सबसे बड़ा अपराध है।

एसटीएफ की कार्रवाई और आगे की जांच

अब तक इस मामले में 12 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं, जिनमें पांच दवा फैक्ट्रियों के मालिक भी शामिल हैं। फिलहाल पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इस नेटवर्क में और कौन-कौन से लोग जुड़े थे और कहीं अन्य राज्यों में भी ऐसी फैक्ट्रियां तो नहीं चल रही थीं।

निष्कर्ष

उत्तराखंड का यह ‘बंटी-बबली’ गिरोह भले ही गिरफ्तार हो गया हो, लेकिन इसने पूरे सिस्टम की खामियों को उजागर कर दिया है। यह समय है कि सरकार और एजेंसियां इस मौके को सुधार में बदलें, ताकि आने वाले समय में कोई मरीज नकली दवाओं की वजह से अपनी जान न गंवाए।

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Rishab Gusain is a Digital Marketing Executive and skilled content writer from Dehradun, Uttarakhand. With experience working for several national and international brands, he has helped businesses achieve remarkable organic growth through his strategic digital marketing approach. Deeply connected to his roots, Rishab is passionate about showcasing the rich culture, travel destinations, and traditions of Uttarakhand. His engaging content has attracted a growing readership, hitting over 10,000 visits in just two months.
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