Delhi-Dehradun Expressway: दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे पर मंकी लैडर बनाएगा एनएचएआई, क्या है मकसद

Rishab Gusain
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Rishab Gusain is a Digital Marketing Executive and skilled content writer from Dehradun, Uttarakhand. With experience working for several national and international brands, he has helped...
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दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे को लेकर आए दिन कोई न कोई नई खबर सुर्खियों में रहती है। कभी इसे तेज रफ्तार यात्रा के लिहाज से चर्चा मिलती है तो कभी पर्यावरण को ध्यान में रखकर किए जा रहे प्रयास इसे खास बना देते हैं। अब इस एक्सप्रेसवे पर एक और अनोखा प्रयोग होने जा रहा है – मंकी लैडर। यह व्यवस्था खासतौर पर बंदरों के लिए बनाई जा रही है ताकि वे सुरक्षित ढंग से एक ओर से दूसरी ओर जा सकें और सड़क हादसों की आशंका कम हो सके।

एशिया का सबसे लंबा वाइल्ड लाइफ कॉरिडोर

दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे पर एशिया का सबसे लंबा वाइल्ड लाइफ कॉरिडोर बनाया जा रहा है। इसका मकसद यह है कि जहां ऊपर से गाड़ियां फर्राटा भरेंगी, वहीं नीचे से वन्यजीव आराम से आवागमन कर सकें। यह योजना पर्यावरण और विकास के बीच संतुलन बनाने की दिशा में बड़ा कदम है।

लेकिन समस्या सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं है। इस इलाके में बंदरों की संख्या काफी ज्यादा है, खासकर सहारनपुर की शिवालिक पहाड़ियों और राजाजी नेशनल पार्क के आस-पास। अक्सर ये बंदर सड़क पर आ जाते हैं, जिससे वाहनों की रफ्तार अचानक धीमी हो जाती है और टकराव का खतरा बढ़ जाता है।

मंकी लैडर क्यों ज़रूरी?

एनएचएआई के प्रोजेक्ट डायरेक्टर पंकज कुमार मौर्य के मुताबिक, बंदरों की इस समस्या का समाधान ढूंढना बेहद जरूरी था। इसलिए निर्णय लिया गया कि वाइल्ड लाइफ कॉरिडोर पर मंकी लैडर तैयार किया जाए

  • यह लैडर सीधे पेड़ों से जुड़ा होगा।
  • बंदर इसे इस्तेमाल करके एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर जा सकेंगे।
  • इस तरह उन्हें सड़क पर उतरने की जरूरत ही नहीं होगी।
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इससे न केवल हादसों में कमी आएगी बल्कि जानवरों और इंसानों दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।

पर्यावरण और सड़क सुरक्षा – दोनों पर ध्यान

इस कदम का महत्व सिर्फ सड़क सुरक्षा तक ही सीमित नहीं है। यह परियोजना पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी मिसाल पेश करती है। एक्सप्रेसवे से रोज़ाना हजारों वाहन गुजरते हैं। ऐसे में यदि जानवरों के लिए सुरक्षित आवाजाही की व्यवस्था हो, तो यह जैव विविधता (Biodiversity) को भी बचाने में अहम भूमिका निभाएगी।

मेरी नज़र में, यह पहल उत्तर भारत ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण है। सड़क विकास परियोजनाएं अक्सर पर्यावरण पर दबाव डालती हैं, लेकिन अगर इस तरह के नवाचार किए जाएं, तो विकास और पर्यावरण एक साथ आगे बढ़ सकते हैं।

उत्तर भारत के लिए अनोखा प्रयोग

अब तक आपने “ओवरब्रिज” और “अंडरपास” तो देखे होंगे, लेकिन यह पहली बार है जब यूपी में “मंकी लैडर” जैसा प्रयोग किया जा रहा है। यह केवल सड़क हादसों को रोकने का तरीका नहीं, बल्कि मानव और वन्यजीव के बीच सहअस्तित्व (Co-existence) की भावना का प्रतीक भी है।

निष्कर्ष

दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे सिर्फ एक हाईवे नहीं रह जाएगा, बल्कि यह विकास और पर्यावरणीय संतुलन का प्रतीक बनेगा। मंकी लैडर जैसी पहल दिखाती है कि तकनीकी और आधुनिक सोच के साथ हम प्राकृतिक जीवन को भी महत्व दे सकते हैं। आने वाले समय में यह न सिर्फ यूपी बल्कि पूरे भारत के लिए एक प्रेरणादायक मॉडल साबित हो सकता है।

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Rishab Gusain is a Digital Marketing Executive and skilled content writer from Dehradun, Uttarakhand. With experience working for several national and international brands, he has helped businesses achieve remarkable organic growth through his strategic digital marketing approach. Deeply connected to his roots, Rishab is passionate about showcasing the rich culture, travel destinations, and traditions of Uttarakhand. His engaging content has attracted a growing readership, hitting over 10,000 visits in just two months.
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