केदारनाथ धाम के ठीक ऊपर बसे चौराबाड़ी ग्लेशियर क्षेत्र में अचानक एक बड़ा हिमस्खलन हुआ। ग्लेशियर की ऊँचाई से बर्फ का विशाल हिस्सा टूटकर नीचे की ओर तेजी से आया और कुछ ही मिनटों में पूरा इलाका बर्फ के सफेद गुबार में लिपट गया। यह नज़ारा वहां मौजूद श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों ने अपने मोबाइल कैमरों में कैद किया, जो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।
दोपहर में घटी घटना
जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार ने जानकारी दी कि हिमस्खलन दोपहर करीब 2 बजे हुआ। उस समय मंदिर परिसर में हज़ारों श्रद्धालु दर्शन-पूजन कर रहे थे। अचानक ऊपरी इलाके से गड़गड़ाहट जैसी आवाज़ आई और लोग देखते ही देखते बर्फ के गुबार को नीचे की ओर फैलते देख घबरा गए। हालांकि राहत की बात यह रही कि हिमस्खलन का असर मंदिर तक नहीं पहुँचा और न ही किसी तरह की जनहानि हुई।
चौराबाड़ी ग्लेशियर – आस्था और त्रासदी का नाम
चौराबाड़ी ग्लेशियर सिर्फ एक हिमनद नहीं बल्कि उत्तराखंड की सबसे बड़ी आपदा का गवाह भी है। साल 2013 में यही ग्लेशियर टूटा था और इसके पास बनी झील अचानक फट गई थी। उस समय आई भीषण बाढ़ ने केदारनाथ धाम और आसपास के क्षेत्रों में भारी तबाही मचाई थी, जिसमें हज़ारों लोगों की जान चली गई थी। आज भी जब इस इलाके में हिमस्खलन या झील से जुड़ी कोई घटना सामने आती है, तो स्थानीय लोग और श्रद्धालु सहम जाते हैं।
क्यों बढ़ रही हैं हिमस्खलन की घटनाएं?
विशेषज्ञों का कहना है कि हिमालयी क्षेत्रों में हिमस्खलन होना कोई नई बात नहीं, लेकिन हाल के वर्षों में इनकी संख्या और तीव्रता दोनों ही तेजी से बढ़ी हैं। इसके पीछे कई बड़े कारण बताए जाते हैं:
- जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग – पहाड़ों का तापमान सामान्य से ज्यादा बढ़ रहा है, जिससे ग्लेशियर अस्थिर हो रहे हैं।
- भारी बारिश और अचानक बर्फबारी – मानसून और पोस्ट-मानसून सीजन में असामान्य बारिश और बर्फबारी ग्लेशियरों पर दबाव बढ़ा देती है।
- मानवीय गतिविधियां – सड़कों का चौड़ीकरण, सुरंग और हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट जैसे निर्माण कार्य इस नाजुक पर्यावरण को असंतुलित कर रहे हैं।
स्थानीय लोगों की चिंता
धाम में सेवा कार्यों से जुड़े लोगों का कहना है कि जब भी ऊपरी इलाकों में ऐसी घटनाएं होती हैं, यात्रियों के मन में भय पैदा हो जाता है। तीर्थयात्री लंबे सफर और कठिन परिस्थितियों में यहां पहुंचते हैं, ऐसे में उन्हें सुरक्षा का भरोसा बहुत ज़रूरी है।
फिलहाल प्रशासन और आपदा प्रबंधन विभाग लगातार स्थिति पर नजर रखे हुए हैं। मंदिर क्षेत्र सुरक्षित है और सभी श्रद्धालु पूरी तरह सुरक्षित बताए गए हैं।