उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल ज़िले में पंचायत चुनावों से पहले सफाई कार्यों से जुड़ा एक बड़ा घोटाला सामने आया है। सूचना के अधिकार (RTI) के तहत मांगी गई जानकारी से पता चला कि ज़िले के 15 विकासखंडों में सफाई सेवाओं के नाम पर लगभग 75 लाख रुपये की अनियमितताएं हुई हैं।
इस खुलासे के बाद ज़िला अधिकारी स्वाति भदौरिया ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच के आदेश दिए हैं। ज़िला सूचना अधिकारी योगेश पोखरियाल ने बताया कि जांच की जिम्मेदारी मुख्य विकास अधिकारी को सौंपी गई है और रिपोर्ट अगले सप्ताह तक आने की उम्मीद है। दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
सूत्रों के अनुसार, 2023 में एक निलंबित वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने सफाई कार्य के लिए आवंटित धनराशि एक अनुबंध पर रखे गए सफाई कर्मचारी की पत्नी के बैंक खाते में ट्रांसफर कर दी थी। यह जानकारी पौड़ी निवासी करण रावत की RTI के ज़रिए सामने आई।
खुलासे में यह भी सामने आया कि जिले के 15 ब्लॉकों के सफाई टेंडर सफाईकर्मी के परिवार के सदस्यों के माध्यम से पास कराए गए और लगभग ₹75 लाख उसकी पत्नी के खाते में जमा किए गए, जबकि किसी के पास सफाई कार्य का अनुभव या कोई औपचारिक अनुमति नहीं थी। सफाईकर्मी ने घोटाले की जानकारी से इनकार किया है।
मामले में दस्तावेज़ों से छेड़छाड़ और वित्तीय लेखा परीक्षण में गड़बड़ियों के आरोप भी सामने आए हैं।
गौरतलब है कि पिछले साल देहरादून नगर निगम में भी ऐसा ही एक मामला सामने आया था, जिसमें 8 करोड़ रुपये से ज़्यादा का नुकसान हुआ था। वहाँ भी ‘फर्ज़ी सफाईकर्मियों’ को वेतन दिए जाने का मामला दर्ज किया गया था, और मई 2025 में एफआईआर भी की गई थी।
यह मामला साफ़ तौर पर दिखाता है कि पंचायत चुनावों से ठीक पहले सरकारी तंत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही की कितनी ज़रूरत है।