उत्तराखंड मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष ने मंगलवार को घोषणा की कि ऑपरेशन सिंदूर, जो पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में भारत द्वारा किए गए आतंक विरोधी हमलों का प्रतीक है, अब राज्य के मदरसों के पाठ्यक्रम का हिस्सा होगा।मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष मुफ्ती शमून कासमी ने यह घोषणा केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात के बाद की। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर की “महागाथा” को जल्द ही पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा।
कासमी ने कहा,“हमने रक्षा मंत्री से मुलाकात की और ऑपरेशन सिंदूर के लिए उन्हें और प्रधानमंत्री को बधाई दी। उत्तराखंड के मदरसों को मुख्यधारा में लाने के हमारे प्रयासों के तहत हम ऑपरेशन सिंदूर को पाठ्यक्रम में शामिल करेंगे।”कांग्रेस पर निशाना साधते हुए मुफ़्ती शमून कासमी ने कहा कि पार्टी ने “समुदाय को मुख्यधारा से अलग-थलग कर दिया है।” उन्होंने आगे कहा:
“मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में हम सुनिश्चित करेंगे कि यह (ऑपरेशन सिंदूर) पढ़ाया जाए। हम बच्चों को बताएंगे कि ऑपरेशन सिंदूर क्या था और यह क्यों ज़रूरी था। यह इसलिए आवश्यक था क्योंकि पाकिस्तान एक दुष्ट देश है और हमें उन्हें सबक सिखाना था, क्योंकि उन्होंने हमारे नागरिकों की जान ली थी।”
उत्तराखंड मदरसा बोर्ड अधिनियम, 2016 के अंतर्गत, बोर्ड को पाठ्यक्रम, पाठ्यपुस्तकों, शिक्षण सामग्री निर्धारित करने तथा पाठ्यपुस्तकों के लिए पांडुलिपियाँ तैयार करने का अधिकार प्राप्त है।इस प्रावधान के तहत ही अब ऑपरेशन सिंदूर को मदरसों के पाठ्यक्रम में शामिल किया जा रहा है। बोर्ड की यह पहल मदरसों को मुख्यधारा की शिक्षा व्यवस्था के करीब लाने और छात्रों को राष्ट्र सुरक्षा व समसामयिक घटनाओं के बारे में जागरूक करने की दिशा में एक प्रयास मानी जा रही है।
बोर्ड के अध्यक्ष मुफ़्ती शमून कासमी इससे पहले यह घोषणा भी कर चुके हैं कि उत्तराखंड के मदरसों में संस्कृत के साथ-साथ हिंदू महाकाव्य महाभारत और रामायण को भी पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा।हालांकि, ये सभी “सुधारात्मक पहलें” अभी तक लागू नहीं हो पाई हैं।इन प्रस्तावों का उद्देश्य मदरसा शिक्षा को मुख्यधारा की शिक्षा प्रणाली से जोड़ना, धार्मिक समरसता को बढ़ावा देना और छात्रों को भारत की विविध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत से अवगत कराना है।
इस बीच, उत्तराखंड सरकार उन मदरसों के खिलाफ सख्त अभियान चला रही है जो बिना मान्यता प्रमाण पत्र के संचालित हो रहे हैं — चाहे वह मदरसा बोर्ड से हो या राज्य शिक्षा विभाग से।दिसंबर 2024 में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा निर्देश जारी किए जाने के बाद से अब तक राज्य में 180 से अधिक मदरसों को सील किया जा चुका है।