चारधाम और कांवड़ यात्रा के दौरान ‘ऑपरेशन कालनेमि’ में उत्तराखंड पुलिस ने पकड़े 82 फर्जी साधु
देहरादून: चारधाम और कांवड़ यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की आस्था से खिलवाड़ कर रहे फर्जी साधुओं पर उत्तराखंड पुलिस ने बड़ी कार्रवाई शुरू की है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर शुरू हुए ‘ऑपरेशन कालनेमि’ के तहत बीते तीन दिनों में 82 फर्जी साधु गिरफ्तार किए गए हैं। इनमें से 34 आरोपियों को रविवार को देहरादून पुलिस ने पकड़ा, जिनमें से 23 अन्य राज्यों के निवासी हैं।
देहरादून के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) अजय सिंह ने बताया कि पुलिस को इन लोगों के बारे में विशेष इनपुट मिले थे कि वे साधु-संत का भेष धारण कर श्रद्धालुओं से ठगी और धोखाधड़ी कर रहे हैं। सभी पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धाराओं के तहत कानूनी कार्यवाही शुरू की गई है।
धार्मिक वेश में ठगी का खेल
चारधाम यात्रा और कांवड़ यात्रा जैसे धार्मिक आयोजनों में बड़ी संख्या में श्रद्धालु उत्तराखंड पहुंचते हैं। पुलिस अधिकारियों के अनुसार, ऐसे पावन अवसरों पर कुछ लोग संतों का भेष बनाकर भोले-भाले भक्तों को ठगने का प्रयास करते हैं।
एसएसपी अजय सिंह ने साफ कहा है कि, “जहां भी ऐसे फर्जी बाबाओं की जानकारी मिलेगी, वहीं कार्रवाई की जाएगी। ऑपरेशन यात्रा सीजन भर जारी रहेगा ताकि श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।”
मुख्यमंत्री धामी ने बताया कालनेमि से तुलना
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस ऑपरेशन की शुरुआत करते हुए कहा था,
“आज के समाज में कई ऐसे ‘कालनेमि’ घूम रहे हैं, जो धर्म का चोला पहनकर लोगों को गुमराह कर रहे हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई जरूरी है।”
‘कालनेमि’ हिंदू पुराणों में वह राक्षस था जो साधु बनकर हनुमान जी को भ्रमित करने की कोशिश करता है।
संत समाज ने दिया समर्थन
सरकार की इस पहल को हिंदू धार्मिक संगठनों से भरपूर समर्थन मिल रहा है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी ने कहा, “जो लोग साधु के नाम पर कांवड़ियों से पैसा वसूलते हैं, और अभद्रता करते हैं, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। हम मुख्यमंत्री जी के इस कदम का पूर्ण समर्थन करते हैं।”
अखंड परशुराम अखाड़ा ने भी इस अभियान का समर्थन करते हुए कहा कि “कुछ नकली साधु पूरे संत समाज की छवि को धूमिल कर रहे हैं। ऐसे लोगों की आधार कार्ड से पहचान कराई जानी चाहिए और फौरन हटाया जाना चाहिए।”
निष्कर्ष
उत्तराखंड सरकार का यह अभियान श्रद्धालुओं की आस्था की सुरक्षा और धार्मिक आयोजनों की पवित्रता बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह अभियान अन्य राज्यों में भी उदाहरण बनता है या नहीं।
‘ऑपरेशन कालनेमि’ न सिर्फ कानून का पालन कराने का जरिया है, बल्कि यह बताता है कि आस्था के नाम पर धोखाधड़ी अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी।