Why Americans Hate Indians Employed On H1B Visas: H1B वीजा पर भारतीयों से अमेरिकियों की नाराजगी: अमेजन के पूर्व कर्मचारी ने बताई अंदर की सच्चाई

Rishab Gusain
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Rishab Gusain is a Digital Marketing Executive and skilled content writer from Dehradun, Uttarakhand. With experience working for several national and international brands, he has helped...
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अमेरिका लंबे समय से भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स और टेक्निकल वर्कर्स के लिए सपनों की धरती माना जाता रहा है। खासकर H1B वीजा भारतीय युवाओं के लिए वहां करियर बनाने का सबसे बड़ा जरिया है। लेकिन हाल ही में अमेरिका से लौटे अमेजन के एक पूर्व कर्मचारी ने H1B वीजा की हकीकत और वहां भारतीयों के खिलाफ बढ़ती नफरत पर बड़ा खुलासा किया है। उनकी यह पोस्ट रेडिट पर वायरल हो गई और इसने भारतीय आईटी सेक्टर और वहां के कामकाज के माहौल को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए।

H1B वीजा की असलियत

इस कर्मचारी ने कहा कि बाहर से अमेरिका का नौकरी का माहौल जितना आकर्षक लगता है, हकीकत में वह उतना आसान नहीं है। खासकर H1B वीजा धारकों को लगातार दबाव और असुरक्षा में काम करना पड़ता है। वीजा की जटिल प्रक्रिया और नवीनीकरण की अनिश्चितता के कारण ये कर्मचारी अक्सर शोषण का शिकार हो जाते हैं।

भारतीय मैनेजर्स का “टॉक्सिक व्यवहार”

सबसे बड़ा आरोप भारतीय मूल के मैनेजर्स पर लगा है। अमेजन के इस पूर्व कर्मचारी ने कहा कि कई भारतीय मैनेजर अपने ही देश के कर्मचारियों का शोषण करते हैं। क्योंकि वे जानते हैं कि H1B पर आए लोग कंपनी छोड़ने की स्थिति में नहीं होते, अन्यथा उनका वीजा खतरे में पड़ सकता है। इस मजबूरी का फायदा उठाकर उनसे अधिक काम करवाया जाता है और कई बार प्रमोशन या वेतन वृद्धि भी रोक दी जाती है।

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भेदभाव और क्षेत्रीय राजनीति

इस कर्मचारी ने बताया कि भर्ती प्रक्रिया में भी भेदभाव होता है। कंपनियों में अक्सर देखा जाता है कि किसी खास भाषा या क्षेत्र के लोग ही एक-दूसरे को प्राथमिकता देते हैं। जैसे वॉलमार्ट में तेलुगु भाषी लोगों का दबदबा बताया गया और इंटेल में गुजराती कर्मचारियों को तरजीह दिए जाने की बातें सामने आईं। इससे कार्यस्थल पर “गुटबाजी” बढ़ जाती है, और अमेरिकी कर्मचारियों में यह धारणा बनती है कि भारतीय अपनी जातीय या भाषाई पहचान को ज्यादा महत्व देते हैं।

अमेरिकियों की नाराजगी की असली वजह

अब सवाल उठता है कि अमेरिकी लोग भारतीय H1B कर्मचारियों से नफरत क्यों करते हैं? इसका सीधा कारण यह है कि बड़ी संख्या में भारतीय H1B वीजा पर अमेरिकी कंपनियों में काम करते हैं। अमेरिकियों को लगता है कि उनकी नौकरियां छिन रही हैं और कंपनियां सस्ते श्रम के लिए भारतीयों को प्राथमिकता दे रही हैं। इसके अलावा, जब भारतीय मैनेजर्स अपनी ही कम्युनिटी के लोगों को भर्ती करते हैं, तो यह असंतोष और गहरा जाता है।

नए नियम और बढ़ती चुनौतियां

19 सितंबर 2025 को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H1B वीजा से जुड़े नए नियमों का ऐलान किया। इसके तहत नए आवेदनों पर अब 100,000 डॉलर की एकमुश्त फीस देनी होगी। हालांकि यह नियम पहले से मौजूद वीजा धारकों, उनके नवीनीकरण या प्रभावी तारीख से पहले दायर किए गए आवेदनों पर लागू नहीं होगा। सरकार का कहना है कि यह कदम वीजा सिस्टम में पारदर्शिता और नियंत्रण लाने के लिए है।

लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इतनी भारी फीस छोटे स्तर के आवेदकों और मिड-लेवल कंपनियों के लिए बाधा बन सकती है। हां, एक संभावना यह भी है कि इससे फर्जी या सिर्फ सस्ते श्रम लाने वाली कंपनियों पर लगाम लगेगी।

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भारत और अमेरिका दोनों के लिए सबक

इस पूरी बहस से साफ है कि भारतीय कर्मचारियों को अमेरिका में सिर्फ नौकरी ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक चुनौतियों से भी गुजरना पड़ता है। वहीं भारत के लिए यह सोचने का समय है कि आखिर क्यों हर साल लाखों युवा विदेश जाने के लिए इतने उतावले रहते हैं। क्या यहां पर्याप्त रोजगार और अवसर नहीं मिल सकते?

निष्कर्ष

H1B वीजा भारतीय युवाओं के लिए सपनों का टिकट जरूर है, लेकिन यह टिकट चुनौतियों से भरा हुआ है। अमेजन के पूर्व कर्मचारी का यह अनुभव बताता है कि वहां का माहौल उतना सहज नहीं है जितना बाहर से दिखाई देता है। क्षेत्रीय गुटबाजी, मैनेजमेंट की सख्ती और अमेरिकियों की नाराजगी—ये सब मिलकर भारतीय कर्मचारियों के लिए मुश्किलें बढ़ाते हैं। नए नियमों के बाद हालात और भी बदल सकते हैं।

अगर अमेरिका और भारत दोनों ही इस विषय पर संतुलित और संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाएं, तो न केवल पेशेवर माहौल बेहतर हो सकता है बल्कि दोनों देशों के बीच रोजगार संबंध भी और मजबूत हो सकते हैं।

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Rishab Gusain is a Digital Marketing Executive and skilled content writer from Dehradun, Uttarakhand. With experience working for several national and international brands, he has helped businesses achieve remarkable organic growth through his strategic digital marketing approach. Deeply connected to his roots, Rishab is passionate about showcasing the rich culture, travel destinations, and traditions of Uttarakhand. His engaging content has attracted a growing readership, hitting over 10,000 visits in just two months.
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