आरक्षण विवाद पर हाईकोर्ट की रोक, उत्तराखंड में पंचायत चुनाव स्थगित

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नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य में प्रस्तावित त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों पर अंतरिम रोक लगा दी है। यह फैसला आरक्षण नीति के क्रियान्वयन में प्रक्रियागत खामियों के चलते लिया गया है। हाईकोर्ट का यह आदेश राज्य चुनाव आयोग द्वारा 21 जून को चुनावी अधिसूचना जारी करने के दो दिन बाद आया है।चुनाव प्रक्रिया में कानूनी खामियों का हवाला, सरकार से मांगा जवाब ।

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. नरेंदर और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने कई याचिकाओं की सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया। इन याचिकाओं में आरक्षित सीटों के रोटेशन को चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने पाया कि आरक्षण रोस्टर विधिसम्मत तरीके से अंतिम रूप नहीं दिया गया था, जिसके चलते चुनावी प्रक्रिया को स्थगित कर दिया गया।

सरकार ने नहीं दी संतोषजनक सफाई
20 जून की पिछली सुनवाई में कोर्ट ने सरकार से स्थिति स्पष्ट करने को कहा था, लेकिन अदालत के अनुसार सरकार कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाई। याचिकाकर्ताओं ने यह भी कहा कि न्यायिक प्रक्रिया जारी होने के बावजूद सरकार ने चुनाव कार्यक्रम घोषित कर दिया, जिससे अदालत को हस्तक्षेप करना पड़ा।

आरक्षण में रोटेशन का विवाद
बागेश्वर निवासी गणेश दत्त कांडपाल द्वारा दायर याचिका में 9 जून को जारी नई आरक्षण नीति और 11 जून को पुराने रोटेशन सिस्टम को खत्म करने संबंधी आदेश को चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि इस नई नीति से कुछ सीटें लगातार चार बार एक ही श्रेणी के लिए आरक्षित कर दी गईं, जिससे सामान्य वर्ग के प्रत्याशियों के लिए चुनाव लड़ने के अवसर खत्म हो गए।

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याचिकाकर्ताओं ने यह भी आरोप लगाया कि यह नई व्यवस्था न केवल पहले के हाईकोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करती है बल्कि इसकी प्रक्रिया भी पारदर्शी नहीं थी।

चुनाव कार्यक्रम अब होगा निरस्त
21 जून को जारी अधिसूचना के अनुसार, नामांकन 25 से 28 जून तक, जांच 29 जून से 1 जुलाई, नाम वापसी की अंतिम तिथि 2 जुलाई और चुनाव चिन्हों का आवंटन 3 जुलाई को होना था। मतदान 10 और 15 जुलाई को तथा मतगणना 19 जुलाई को प्रस्तावित थी।

हाईकोर्ट के फैसले के बाद अब राज्य निर्वाचन आयोग को 74,499 ग्राम प्रधान, 55,600 ग्राम पंचायत सदस्य, 2,974 क्षेत्र पंचायत सदस्य और 358 जिला पंचायत सदस्यों के चुनाव के लिए पूरी योजना दोबारा बनानी होगी।

चुनाव आयोग का पक्ष
राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार ने इससे पहले कहा था कि आरक्षण प्रक्रिया पूरी कर सरकार ने चुनाव आयोग को सौंप दी थी। लेकिन अब हाईकोर्ट की रोक के चलते पूरा कार्यक्रम अगले आदेश तक स्थगित हो गया है।

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