उत्तराखंड के सीमांत इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक ऐतिहासिक फैसला लिया है। सीमांत जिलों में रह रहे लोगों को बेहतर सुविधाएँ और विकास का लाभ दिलाने के लिए मुख्यमंत्री ने बॉर्डर एरिया डेवलपमेंट काउंसिल (सीमा क्षेत्र विकास परिषद) के गठन की घोषणा की है। यह परिषद उन इलाकों में बुनियादी ढांचे, शिक्षा, स्वास्थ्य और आपदा प्रबंधन जैसी सेवाओं को और सुदृढ़ करने की दिशा में काम करेगी।यह घोषणा मुख्यमंत्री ने गुप्तकाशी (रुद्रप्रयाग) में आयोजित चौथे सीमा पर्वतीय बाल विज्ञान महोत्सव के दौरान की, जहाँ उन्होंने बच्चों से संवाद करते हुए राज्य के विकास और विज्ञान शिक्षा की दिशा में सरकार की योजनाओं पर विस्तार से बात की।
सीमांत क्षेत्रों के लिए नई उम्मीद
उत्तराखंड की सीमाएँ नेपाल और चीन से सटी हैं। पिथौरागढ़, चमोली, चम्पावत और उत्तरकाशी जैसे जिले इन सीमावर्ती इलाकों में आते हैं, जहाँ अब तक विकास की गति अपेक्षाकृत धीमी रही है। ऐसे में मुख्यमंत्री धामी का यह कदम इन क्षेत्रों के लोगों के लिए उम्मीद की नई किरण लेकर आया है।
सीएम धामी ने कहा कि परिषद का मुख्य उद्देश्य सीमांत इलाकों में आर्थिक, सामाजिक और भौतिक विकास को गति देना है, ताकि वहाँ रहने वाले लोगों को राज्य के अन्य हिस्सों जैसी सुविधाएँ मिल सकें।
मेरी राय में यह घोषणा केवल विकास से जुड़ी नहीं है, बल्कि यह उन परिवारों के लिए भी एक भावनात्मक जुड़ाव है, जो सीमाओं की सुरक्षा के लिए वर्षों से वहाँ डटे हुए हैं।
मुख्यमंत्री की दृष्टि: शिक्षा, नवाचार और आत्मनिर्भरता
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने बच्चों और युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि सीमांत इलाकों में भी अब शिक्षा, विज्ञान और नवाचार के क्षेत्र में अवसरों की कमी नहीं रहेगी। उन्होंने बताया कि सरकार इन जिलों में आपदा प्रबंधन, स्वास्थ्य और शिक्षा से जुड़े नवाचार केंद्र स्थापित करेगी।
धामी ने छात्रों से जलवायु परिवर्तन, जल संरक्षण और आपदा प्रबंधन जैसे विषयों पर चर्चा की और कहा कि “उत्तराखंड के युवा देश के भविष्य को दिशा देने की क्षमता रखते हैं।” उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत के नवाचार और आत्मनिर्भरता के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छूने की भी सराहना की।
देहरादून को मिलने जा रही साइंस सिटी
मुख्यमंत्री ने यह भी जानकारी दी कि देहरादून में जल्द ही साइंस सिटी की स्थापना होने जा रही है। यह देश की पांचवीं साइंस सिटी होगी, जो उत्तराखंड के लिए बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। इस परियोजना से राज्य में विज्ञान शिक्षा, शोध और नवाचार को नई दिशा मिलेगी।
देहरादून, जो पहले से ही शिक्षा का प्रमुख केंद्र माना जाता है, अब विज्ञान के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान बना सकेगा। यह न सिर्फ छात्रों के लिए, बल्कि पर्यटकों और शोधकर्ताओं के लिए भी आकर्षण का केंद्र बन सकता है।
चम्पावत में ‘वे साइड एमिनिटी’ परियोजना का शिलान्यास
मुख्यमंत्री धामी ने बुधवार को चम्पावत के अमोड़ी में करीब 1.60 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली ‘वे साइड एमिनिटी’ परियोजना का शिलान्यास और भूमि पूजन किया। यह परियोजना ‘आदर्श चम्पावत’ की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
इस योजना का उद्देश्य न केवल पर्यटन ढांचे को मजबूत करना है, बल्कि स्थानीय युवाओं और महिलाओं के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा करना भी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस परियोजना से क्षेत्र के लोगों की आजीविका में सीधा सुधार होगा और चम्पावत का पर्यटन देशभर में एक नई पहचान बनाएगा।
व्यक्तिगत रूप से, चम्पावत जैसे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध क्षेत्र में ऐसी परियोजना का आना एक बेहद सकारात्मक संकेत है। इससे स्थानीय कारीगरों, होटल व्यवसायियों और गाइड्स को भी बड़ा फायदा मिलेगा।
निष्कर्ष
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की यह घोषणाएँ उत्तराखंड के सीमांत विकास और क्षेत्रीय संतुलन की दिशा में एक ठोस कदम हैं।
सीमा क्षेत्र विकास परिषद से जहाँ सीमावर्ती जिलों में बुनियादी सुविधाएँ सुधरेंगी, वहीं चम्पावत की ‘वे साइड एमिनिटी’ परियोजना राज्य के पर्यटन को नई उड़ान देगी।
सरकार का यह प्रयास केवल विकास नहीं, बल्कि सीमांत जनता के जीवन स्तर को बेहतर बनाने का संकल्प है।
अगर इन योजनाओं को समय पर पूरा किया गया, तो उत्तराखंड आने वाले वर्षों में न सिर्फ पर्यटन और नवाचार का केंद्र, बल्कि आत्मनिर्भर सीमांत राज्य के रूप में भी अपनी पहचान बनाएगा।