UPCL Loses Lawsuit: उत्तराखंड में अजब-गजब खेल, केस हारी UPCL पर जनता चुकाएगी 783 करोड़ रुपए

Rishab Gusain
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Rishab Gusain is a Digital Marketing Executive and skilled content writer from Dehradun, Uttarakhand. With experience working for several national and international brands, he has helped...
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उत्तराखंड में एक बार फिर सरकारी व्यवस्थाओं का अजब-गजब खेल देखने को मिल रहा है। राज्य की बिजली वितरण कंपनी UPCL (उत्तराखंड पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड) लगातार तीन बड़े मुकदमे हार चुकी है — और अब इन हारों का बोझ सीधे जनता की जेब पर पड़ने वाला है।

करीब 783 करोड़ रुपए का मुआवजा तीन अलग-अलग कंपनियों को देना पड़ेगा, और इसकी भरपाई के लिए UPCL जल्द ही बिजली के बिलों में 10% तक की बढ़ोतरी करने की तैयारी कर रहा है। यानी गलती किसी और की, लेकिन सज़ा आम उपभोक्ता को।

UPCL की लगातार हारें और बढ़ती जिम्मेदारियाँ

उत्तराखंड में बिजली वितरण की जिम्मेदारी UPCL के पास है। लेकिन पिछले कुछ सालों में कंपनी की कार्यप्रणाली पर कई बार सवाल उठे हैं — ख़ासकर कानूनी मामलों में लगातार हार से उसकी छवि पर असर पड़ा है।

  • ग्रीनको बुद्धहिल कंपनी केस
    इस मामले में UPCL को 233 करोड़ रुपए चुकाने का आदेश दिया गया है। यह आदेश केंद्रीय विद्युत अपीलीय प्राधिकरण (APTEL) ने दिया, जहां UPCL को कोई राहत नहीं मिली। आयोग ने साफ कर दिया कि अब कंपनी को यह रकम किस्तों में अनिवार्य रूप से देनी होगी।
  • हिम ऊर्जा कंपनी केस
    2013 और 2016 की प्राकृतिक आपदाओं में हिम ऊर्जा के हाइड्रो प्रोजेक्ट को भारी नुकसान हुआ था। कंपनी ने अपनी क्षमता उपयोगिता (CU Factor) में आए अंतर की भरपाई की मांग की, और APTEL ने उसका पक्ष सही माना। अब UPCL को इस केस में 300 करोड़ रुपए का भुगतान करना है।
  • गामा गैस पावर केस
    गामा कंपनी ने आरोप लगाया कि उसके पावर प्लांट के निर्माण खर्च का सही आकलन बिजली दरों में नहीं किया गया। यह मामला भी अंततः UPCL के खिलाफ गया। सुप्रीम कोर्ट में अपील करने के बाद कंपनी को 250 करोड़ रुपए का भुगतान करना पड़ेगा — पहले यह राशि 550 करोड़ तय हुई थी।
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जनता पर असर: बढ़ेगा बिजली बिल

इन तीनों मामलों में कुल राशि लगभग 783 करोड़ रुपए बनती है। यह रकम कंपनी खुद नहीं बल्कि बिजली उपभोक्ताओं से वसूलेगी।
यानी आने वाले महीनों में बिजली के बिलों में 8-10% तक की बढ़ोतरी देखी जा सकती है।

दरअसल, ऊर्जा निगम पहले भी अपने घाटों की भरपाई के लिए बार-बार बिजली दरें बढ़ा चुका है। और अब एक बार फिर वही रास्ता अपनाया जा रहा है।

उत्तराखंड की ऊर्जा व्यवस्था – पहाड़ की मुश्किलें और बिजली का भार

उत्तराखंड भले ही “ऊर्जा प्रदेश” कहलाता है, लेकिन यहाँ की ऊर्जा व्यवस्था काफी जटिल है। राज्य में हाइड्रो प्रोजेक्ट्स की भरमार है, लेकिन बिजली वितरण का घाटा साल-दर-साल बढ़ता जा रहा है।
पहाड़ी इलाकों में ट्रांसमिशन लॉस (बिजली की हानि) अधिक है, और दूरस्थ इलाकों में बिजली पहुँचाने का खर्च भी ज्यादा। ऐसे में UPCL का घाटा किसी एक कारण से नहीं बल्कि पूरे सिस्टम की खामियों का परिणाम है।

ऊर्जा आयोग का बयान

विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष एम.एल. प्रसाद ने कहा है कि अपटेल के आदेशों को लागू करवाना आयोग की जिम्मेदारी है। उन्होंने बताया कि निगम को निर्देश दिए गए हैं कि किस्तों में भुगतान किया जाए ताकि कंपनी पर अचानक आर्थिक दबाव न पड़े और कंपनियों को भी समय पर भुगतान मिल सके।

निष्कर्ष: सुधार की जरूरत, सिर्फ दर बढ़ाने से कुछ नहीं होगा

UPCL की यह हार राज्य की ऊर्जा प्रबंधन व्यवस्था पर एक बड़ा सवाल खड़ा करती है। यदि यह स्थिति जारी रही, तो आने वाले वर्षों में बिजली दरों का बोझ और भी बढ़ेगा।

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इस वक्त जरूरत है कि

  • UPCL अपनी कानूनी टीम और अनुबंध नीतियों को मजबूत करे,
  • बिजली प्रोजेक्ट्स के समझौतों की पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए,
  • और घाटे की भरपाई जनता से नहीं, बल्कि प्रशासनिक सुधारों से की जाए।

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Rishab Gusain is a Digital Marketing Executive and skilled content writer from Dehradun, Uttarakhand. With experience working for several national and international brands, he has helped businesses achieve remarkable organic growth through his strategic digital marketing approach. Deeply connected to his roots, Rishab is passionate about showcasing the rich culture, travel destinations, and traditions of Uttarakhand. His engaging content has attracted a growing readership, hitting over 10,000 visits in just two months.
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