उत्तराखंड में बाघ और तेंदुए के हमलों की बढ़ती घटनाएं: एक गहराता संकट

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नैनीताल जिले के रामनगर क्षेत्र में बाघ के हमलों का डर दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। ऐसी ही एक दुखद घटना में, रामनगर वन प्रभाग के तराई पश्चिमी रेंज के अंतर्गत आने वाले सक्कनपुर गांव में एक बाघ ने एक युवक को मार डाला। मृतक की पहचान विनोद कुमार (उम्र 35 वर्ष), पुत्र जबर सिंह, निवासी सक्कनपुर पीरूमदारा के रूप में हुई है। यह घटना आज सुबह करीब 9 बजे की है।

विनोद कुछ अन्य ग्रामीणों के साथ एक पारिवारिक विवाह के लिए लकड़ी इकट्ठा करने जंगल गया था। जब वे जंगल की सीमा पर स्थित कमदेवपुर गांव के पास लकड़ी बीन रहे थे, तभी अचानक बाघ ने विनोद पर हमला कर दिया और उसे लगभग सौ मीटर अंदर जंगल में घसीट ले गया। ग्रामीणों के शोर मचाने पर बाघ विनोद को छोड़कर भाग गया। घायल विनोद को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो गई।

इस दर्दनाक घटना ने पूरे गांव को भय और गुस्से से भर दिया है। विनोद के भाई राकेश कुमार और अन्य ग्रामीणों ने वन विभाग से बाघ के आतंक से निजात दिलाने के लिए कड़ी कार्रवाई की मांग की है। मौके पर पहुंचे वन विभाग के अधिकारी और तराई पश्चिमी रेंज के SDO मनीष जोशी ने अस्पताल पहुंचकर पुष्टि की कि विनोद की मौत बाघ के हमले से हुई है। विभाग द्वारा सभी कानूनी औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं और बाघ की गतिविधियों की सूचना उच्च अधिकारियों को दी गई है। साथ ही, वन विभाग ने लोगों से अपील की है कि वे अकेले या बिना सावधानी के जंगल में न जाएं।

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दुर्भाग्यवश, यह कोई एकल मामला नहीं है। उत्तराखंड में पिछले कुछ वर्षों से मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं में चिंताजनक वृद्धि देखी जा रही है। बाघ और तेंदुओं के हमलों ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में दहशत फैला रखी है।

अप्रैल 2025 में रामनगर के पास एक गांव में खेल रहे 10 वर्षीय बालक को तेंदुए ने मार डाला था। तेंदुए को आदमखोर घोषित किया गया और अब तक उसे पकड़ने के प्रयास जारी हैं। इससे पहले मार्च 2025 में हल्द्वानी में चारा एकत्र कर रही एक महिला की बाघ के हमले में मौत हो गई थी। फरवरी में अल्मोड़ा में एक तेंदुआ रिहायशी इलाके में घुस आया और दो बच्चों को घायल कर दिया। जनवरी में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के बफर जोन में गश्त कर रहे एक वन रक्षक की बाघ के हमले में जान चली गई।

उत्तराखंड में तेंदुओं द्वारा मानव पर हमले पहले से अधिक आम रहे हैं, लेकिन अब तराई क्षेत्र में बाघों के हमले भी चिंता का विषय बनते जा रहे हैं। यह एक ऐसा संकट है जो वन विभाग से बड़े और ठोस कदमों की मांग करता है।

इन बार-बार हो रहे हमलों ने जंगलों के पास रहने वाले लोगों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। वन्यजीवों के प्राकृतिक आवास में हो रहे अतिक्रमण, जंगलों का घटता क्षेत्रफल और शिकार की कमी के कारण जंगली जानवर भोजन की तलाश में बस्तियों की ओर बढ़ रहे हैं, जिससे दोनों पक्षों के लिए भयावह परिणाम सामने आ रहे हैं।

ऐसे में राज्य सरकार और प्रशासन के लिए यह आवश्यक हो गया है कि वह तुरंत और प्रभावी कदम उठाए। गश्त को मजबूत करना, चेतावनी प्रणाली स्थापित करना और ग्रामीणों को जंगल में जाने से पहले सावधानियों के बारे में जागरूक करना इस दिशा में महत्वपूर्ण उपाय हो सकते हैं। इसके साथ ही, सरकार को पीड़ित परिवारों को त्वरित मुआवजा और सहायता सुनिश्चित करनी चाहिए।

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उत्तराखंड में बाघ और तेंदुओं के बढ़ते हमले प्रशासन और जनता दोनों से तत्काल हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं।

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