Monsoon Updates 96 Days Of Monsoon Ending: 96 दिन बाद मानसून की विदाई शुरू, एक दिन में बारिश का 101 साल का रिकॉर्ड टूटा

Rishab Gusain
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Rishab Gusain is a Digital Marketing Executive and skilled content writer from Dehradun, Uttarakhand. With experience working for several national and international brands, he has helped...
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उत्तराखंड में आखिरकार 96 दिन बाद मानसून की विदाई शुरू हो गई है। आमतौर पर पहाड़ी राज्य में मानसून राहत और रौनक लेकर आता है, लेकिन इस बार इसका चेहरा कुछ अलग ही रहा। लगातार तेज बारिश ने जहां किसानों को उम्मीद दी, वहीं बाढ़, भूस्खलन और जनहानि जैसी समस्याएं भी साथ ले आईं। मौसम विभाग (IMD) के अनुसार अगले दो से तीन दिनों में पूरे प्रदेश से मानसून विदा हो जाएगा।

देहरादून में टूटा 101 साल का रिकॉर्ड

राजधानी देहरादून में इस मानसून ने इतिहास रच दिया। यहां एक ही दिन में हुई बारिश ने पिछले 101 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया। आम तौर पर देहरादून का मौसम सुहावना माना जाता है, लेकिन इस बार की तेज बारिश ने शहर की सड़कों को नदियों में बदल दिया और लोगों को काफी परेशानी उठानी पड़ी। स्थानीय लोग अब भी बताते हैं कि कई इलाकों में जलभराव से जनजीवन पूरी तरह ठप हो गया था।

कब आया और कब जा रहा है मानसून?

उत्तराखंड में इस बार मानसून ने 21 जून को दस्तक दी थी। इसके बाद लगभग तीन महीने तक राज्य के अलग-अलग हिस्सों में बारिश का सिलसिला चलता रहा। बुधवार से इसकी विदाई की प्रक्रिया हरिद्वार और आसपास के इलाकों से शुरू हो चुकी है। मौसम विज्ञानियों का कहना है कि 24 सितंबर से दक्षिण-पश्चिम मानसून की वापसी की रेखा हरिद्वार, मुरादाबाद, एटा और रामपुर-बुलंदशहर के रास्ते गुजर रही है। आने वाले दो से तीन दिनों में यह पूरे प्रदेश से बाहर हो जाएगा।

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इस बार कितनी हुई बारिश?

सामान्य तौर पर उत्तराखंड में मानसून के दौरान लगभग 1147.4 मिमी बारिश होती है। लेकिन इस बार यह आंकड़ा बढ़कर 1411.5 मिमी तक पहुंच गया, यानी करीब 23 फीसदी ज्यादा

  • 2010 के बाद यह सबसे ज्यादा बारिश वाला मानसून रहा।
  • साल 2010 में 1680 मिमी बारिश दर्ज की गई थी।
  • 2000 में 1590 मिमी, 2007 में 1560 मिमी और 1998 व 2003 में भी 1400 मिमी से ज्यादा बारिश हुई थी।
  • पिछले साल भी सामान्य से 9% ज्यादा, यानी 1273 मिमी बारिश हुई थी।

इन आंकड़ों से साफ है कि उत्तराखंड में मानसून का रुख लगातार ज्यादा बारिश की ओर रहा है।

बारिश बनी आफत

बारिश जहां किसानों के लिए सोना होती है, वहीं उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य में यह आपदा का कारण भी बनती है। इस बार भी भूस्खलन, बादल फटने और बाढ़ जैसी घटनाओं ने कई जिलों में तबाही मचाई। पहाड़ी इलाकों में सड़कें टूट गईं, गांवों का संपर्क कट गया और कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी।

मेरे विचार से, राज्य सरकार और आपदा प्रबंधन एजेंसियों को ऐसे हालात से निपटने के लिए और अधिक तैयारियों की जरूरत है। खासतौर पर उन इलाकों में जहां हर साल भूस्खलन और बाढ़ जैसी घटनाएं सामान्य हो चुकी हैं।

अब आगे का मौसम कैसा रहेगा?

मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक डॉ. सी.एस. तोमर के अनुसार मानसून की विदाई के बाद मौसम साफ रहने की संभावना है। अक्टूबर से राज्य में ठंड की शुरुआत हो जाएगी। खासकर पहाड़ी जिलों जैसे उत्तरकाशी, पिथौरागढ़ और चमोली में रात का तापमान तेजी से गिरना शुरू होगा। मैदानों में भी सुबह-शाम हल्की ठंड महसूस होने लगेगी।

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स्थानीय प्रभाव और लोग क्या कहते हैं

देहरादून और हरिद्वार में लोगों से बातचीत करने पर एक बात साफ दिखी – बारिश को लोग अब “राहत” से ज्यादा “आफत” मानने लगे हैं। जहां किसान इससे खुश हैं, वहीं शहरी क्षेत्रों के लोग जलभराव और यातायात बाधित होने से परेशान हैं। कई दुकानदारों ने बताया कि लगातार बारिश से उनका कारोबार प्रभावित हुआ।

निष्कर्ष

उत्तराखंड में मानसून 2026 धीरे-धीरे विदा हो रहा है, लेकिन अपने पीछे यह कई यादें और सबक छोड़ गया है। एक ओर इसने जलस्रोतों को भरा और खेती को सहारा दिया, वहीं दूसरी ओर आपदाओं और परेशानियों का कारण भी बना। आने वाले समय में सरकार और समाज दोनों को मिलकर ऐसी रणनीति बनानी होगी जिससे मानसून की बरसात “आशीर्वाद” बने, “आफत” नहीं।

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Rishab Gusain is a Digital Marketing Executive and skilled content writer from Dehradun, Uttarakhand. With experience working for several national and international brands, he has helped businesses achieve remarkable organic growth through his strategic digital marketing approach. Deeply connected to his roots, Rishab is passionate about showcasing the rich culture, travel destinations, and traditions of Uttarakhand. His engaging content has attracted a growing readership, hitting over 10,000 visits in just two months.
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