गर्मी के मौसम में मैदानी इलाकों की तपिश से राहत पाने के लिए उत्तर भारत के लोग पहाड़ियों की ओर रुख करते हैं, और मसूरी उनके लिए सबसे पसंदीदा जगहों में से एक है। लेकिन इस बार मसूरी की सैर सैलानियों के लिए किसी सपने से कम नहीं, बल्कि एक जाम भरे बुरे अनुभव में बदल रही है।
देहरादून से मसूरी की महज 35 किलोमीटर की दूरी तय करने में चार से साढ़े चार घंटे तक का समय लग रहा है। जगह-जगह ट्रैफिक जाम की स्थिति बनी हुई है, जिससे सैलानी बेहद परेशान नजर आ रहे हैं।
गर्मी ने बढ़ाई भीड़, जाम ने छीनी राहत
मैदानी राज्यों में पड़ रही भीषण गर्मी के चलते मसूरी में पर्यटकों की संख्या अचानक बहुत ज्यादा बढ़ गई है। ऐसे में संकरी सड़कों पर वाहन रेंग-रेंगकर चल रहे हैं। शनिवार और रविवार जैसे छुट्टी वाले दिनों में स्थिति और भी विकराल हो जाती है।
प्रशासन के दावे साबित हो रहे फेल
पर्यटन सीजन को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन द्वारा बस शटल सेवाएं और ट्रैफिक व्यवस्था दुरुस्त करने के तमाम दावे किए गए थे, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। पुलिस और ट्रैफिक विभाग की मौजूदगी के बावजूद ट्रैफिक को नियंत्रित करने में नाकामी दिखाई दे रही है।
बसों की कमी से यात्रियों की मुश्किलें और बढ़ीं
जो पर्यटक निजी वाहन नहीं लेकर आए हैं, उन्हें बसों की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है। कई बार घंटों बस का इंतजार करना पड़ रहा है, जिससे समय और धैर्य दोनों की परीक्षा हो रही है।
क्या है समाधान?
स्थानीय प्रशासन को चाहिए कि वह सप्ताहांत और छुट्टियों के दौरान मसूरी मार्ग पर अतिरिक्त ट्रैफिक पुलिस बल तैनात करे, पार्किंग की बेहतर व्यवस्था करे और वैकल्पिक मार्गों को खोले। साथ ही ऑनलाइन ट्रैफिक अपडेट्स और लाइव निगरानी जैसे उपायों पर भी ज़ोर दिया जाना चाहिए।
अगर आप मसूरी जाने की योजना बना रहे हैं, तो संभव हो तो भीड़भाड़ वाले दिनों से बचें, जल्दी सुबह या देर शाम यात्रा करें, और धैर्य बनाए रखें — क्योंकि फिलहाल मसूरी की राह में जाम का मिलना तय है।