2 मई को केदारनाथ धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खुलने के लगभग एक महीने बाद, इस यात्रा से अब तक ₹200 करोड़ का व्यापार हुआ है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, टैक्सी चालकों, खच्चर-घोड़ा संचालकों, होटल व्यवसायियों और विभिन्न व्यवसायों से जुड़े लोगों ने इस एक महीने की अवधि में अच्छा खासा मुनाफा कमाया है, वहीं सरकार ने भी तीर्थयात्रियों को दी गई सुविधाओं से अच्छा राजस्व अर्जित किया है।
रविवार तक, इस साल सात लाख से अधिक श्रद्धालु केदारनाथ पहुंच चुके थे। पिछले एक महीने में प्रतिदिन औसतन 24,000 लोग इस पवित्र स्थल के दर्शन करने पहुंचे। केदारनाथ तक पहुंचने के लिए 20 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी होती है, जिसे कई लोग खच्चरों या घोड़ों की सहायता से पूरा करते हैं। सिर्फ बुजुर्ग या असमर्थ श्रद्धालु ही नहीं, बल्कि कई अन्य लोग भी जो पहाड़ी रास्तों पर चलने में असमर्थ होते हैं, खच्चरों का सहारा लेते हैं। मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. आशीष रावत ने बताया कि 31 मई तक कुल 1,39,444 श्रद्धालु घोड़ों-खच्चरों के जरिए केदारनाथ पहुंचे, जिससे ₹40.50 करोड़ से अधिक का व्यापार हुआ। हालांकि इस साल कुछ दिनों के लिए इक्वाइन इन्फ्लुएंजा के कारण खच्चरों का संचालन प्रभावित रहा, अब यह सेवा पूरी तरह से सामान्य है। कुछ श्रद्धालु हेलीकॉप्टर के जरिए भी केदारनाथ पहुंचते हैं।
श्रद्धालुओं को लाने-ले जाने के अलावा, हेलीकॉप्टर सेवा चिकित्सा आपात स्थितियों के लिए भी महत्वपूर्ण है। औसतन दो से तीन मेडिकल इमरजेंसी केस हर दिन हेलीकॉप्टर से रेस्क्यू किए जाते हैं। जिला पर्यटन अधिकारी व हेलीकॉप्टर सेवा के नोडल अधिकारी राहुल चौबे ने बताया कि इस साल आठ कंपनियां केदारनाथ के लिए हेलीकॉप्टर सेवा संचालित कर रही हैं। 31 मई तक कुल 33,000 श्रद्धालु हेलीकॉप्टर से केदारनाथ पहुंचे, जिससे ₹35 करोड़ की आय हुई। चौबे ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे केवल IRCTC की आधिकारिक वेबसाइट से ही हेलीकॉप्टर टिकट बुक करें।
केदारनाथ आने-जाने का एक और माध्यम है डांडी-कांडी (पालकी और कुर्सी)। बुजुर्ग या जो लंबी दूरी पैदल नहीं चल सकते, वे डांडी-कांडी का सहारा लेते हैं। कुछ लोग बच्चों को ले जाने या सामान ढोने के लिए भी इसका उपयोग करते हैं। रुद्रप्रयाग जिला पंचायत के अतिरिक्त मुख्य अधिकारी संजय कुमार ने बताया कि इस साल केदारनाथ मार्ग पर 7,000 से अधिक डांडी-कांडी संचालक पंजीकृत हैं। 31 मई तक कुल 29,275 श्रद्धालुओं ने इस सेवा का उपयोग किया, जिससे ₹1.16 करोड़ का व्यापार हुआ। इसके अतिरिक्त, जिला पंचायत ने गंदगी फैलाने और अन्य नियमों का उल्लंघन करने वाले संस्थानों पर ₹2,26,000 के चालान भी किए हैं।
यात्रा में टैक्सी सेवाओं की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। सोनप्रयाग से गौरीकुंड तक की शटल सेवा के लिए 225 वाहन पंजीकृत हैं। रुद्रप्रयाग के सहायक परिवहन अधिकारी कुलवंत सिंह चौहान ने बताया कि अब तक सात लाख से अधिक श्रद्धालु केदारनाथ पहुंच चुके हैं, जिनसे प्रत्येक ने सोनप्रयाग से गौरीकुंड तक ₹50 और वापसी के लिए भी ₹50 का भुगतान किया। टैक्सी चालकों ने अब तक करीब ₹7 करोड़ की कमाई की है।
केदारनाथ में ठहरने की सुविधाएं गढ़वाल मंडल विकास निगम (GMVN) और स्थानीय व्यवसायियों द्वारा संभाली जाती हैं। मार्ग में होटल, टेंट और लॉज सहित करीब 350 प्रतिष्ठान गौरीकुंड के पास हैं जो खाने-पीने और रहने की सुविधा देते हैं। प्रति दिन का औसत खर्च ₹1,500 से ₹2,000 तक है। अधिकारियों ने बताया कि अब तक होटल और रेस्तरां से ₹100 करोड़ तक का व्यापार हुआ है। GMVN के क्षेत्रीय प्रबंधक गिरिवर रावत ने बताया कि निगम के 15 प्रतिष्ठानों ने एक महीने में ₹3.80 करोड़ का राजस्व अर्जित किया है।