उत्तराखंड कांग्रेस नेता हरीश रावत और उनकी पत्नी दीप्ति रावत के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में चार्जशीट दायर की है। यह मामला देहरादून में स्थित दो कीमती ज़मीनों पर अवैध कब्जे और उनके ट्रांसफर से जुड़ा है, जिनकी बाज़ार में कुल कीमत 70 करोड़ रुपये से अधिक बताई जा रही है।
ED ने शुक्रवार को जानकारी दी कि चार्जशीट में हरीश रावत, उनकी पत्नी दीप्ति रावत के साथ-साथ उनके करीबी सहयोगी बीरेंद्र सिंह कंडारी, लक्ष्मी सिंह राणा और श्रीमती पूर्णा देवी मेमोरियल ट्रस्ट का भी नाम शामिल है।
यह मामला सहसपुर थाना, देहरादून में दर्ज एक प्राथमिकी (FIR) पर आधारित है, जिसमें बीरेंद्र सिंह और अन्य पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया गया था। जांच में सामने आया कि बीरेंद्र सिंह कंडारी और हरीश रावत ने आपसी साज़िश के तहत ये ज़मीनें दीप्ति रावत और लक्ष्मी राणा के नाम पर रजिस्टर्ड करवा लीं।
इतना ही नहीं, अदालत के स्पष्ट आदेशों के बावजूद, दिवंगत सुशीला रानी और कुछ अन्य लोगों ने इन ज़मीनों के लिए पावर ऑफ अटॉर्नी के दस्तावेज़ तैयार करवाए। इसके बाद, बीरेंद्र सिंह ने ये ज़मीनें बहुत कम दामों पर दीप्ति रावत और लक्ष्मी राणा को बेच दीं — जो इलाके की सर्किल रेट से भी कम थीं।
ED के अनुसार, अब ये ज़मीनें दून इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज का हिस्सा हैं, जिसे श्रीमती पूर्णा देवी मेमोरियल ट्रस्ट के तहत चलाया जाता है। इस ट्रस्ट पर रावत परिवार का पूर्ण नियंत्रण बताया जा रहा है।
गौरतलब है कि जनवरी 2025 में ED ने इस मामले से जुड़े करीब 101 बीघा ज़मीन को अस्थायी रूप से अटैच कर लिया था। सरकार द्वारा तय मूल्य करीब 6.56 करोड़ था, जबकि बाज़ार मूल्य 70 करोड़ रुपये से अधिक आंका गया।
फिलहाल, ED की जांच इस मामले में जारी है।