रुद्रपुर (उत्तराखंड): ऊधम सिंह नगर ज़िले की पुलिस ने काशीपुर क्षेत्र में एक घर से बंधक बनाए गए 35 नेपाली युवाओं, जिनमें तीन नाबालिग भी शामिल हैं, को मुक्त कराया है। इस मामले में तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस के अनुसार, इन युवाओं को नौकरी का झांसा देकर नेपाल से भारत लाया गया था, और फिर बंधक बनाकर जबरन कंपनी के उत्पाद बेचने पर मजबूर किया जा रहा था।
जिला वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मणिकांत मिश्रा ने बताया कि यह कार्रवाई नेपाल दूतावास के अधिकारी नवीन जोशी की सूचना पर की गई, जिन्होंने गुरुवार को स्थानीय प्रशासन को इस मामले की जानकारी दी थी।
कैसे हुआ खुलासा?
नेपाल के धनगड़ी, ग्राम विकास समिति कापलेकी के निवासी 21 वर्षीय बिरेंद्र शाही ने इन युवाओं से ₹10,000 से ₹30,000 तक की राशि वसूल कर उन्हें भारत लाया। उन्हें काशीपुर के ओम विहार कॉलोनी में स्थित महाराज सिंह उर्फ पप्पू के घर में रखा गया।
पुलिस की छापेमारी काशीपुर सर्किल अधिकारी की अगुवाई में की गई, जिसके बाद सभी युवाओं को नेपाल दूतावास के अधिकारियों को सौंप दिया गया।
कैसे बनाया गया बंधक?
पुलिस को दिए गए बयान में युवाओं ने बताया कि उन्हें दिल्ली स्थित लीड विजन ट्रेडिंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी के उत्पाद बेचने पर मजबूर किया गया। जब उन्होंने इनकार किया, तो उन्हें पीटा गया, गालियां दी गईं और जान से मारने की धमकी भी दी गई।
बिरेंद्र शाही के अलावा, दो और आरोपी सचिन कुमार (गाज़ीपुर, यूपी) और मनीष तिवारी (रुद्रपुर) को भी गिरफ्तार किया गया है। इन सभी पर भारतीय दंड संहिता की धारा 127, 318, 317 और किशोर न्याय अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है।
मास्टरमाइंड कौन?
पुलिस पूछताछ में सामने आया कि आरोपी लीड विजन ट्रेडिंग इंडिया प्रा. लि., जो दिल्ली के जनकपुरी में स्थित है, के संस्थापक निदेशक चेतन हांडा के निर्देशों पर काम कर रहे थे। हालांकि, उन्होंने हांडा से कभी मुलाकात नहीं की थी। आरोपियों ने बताया कि हांडा और उनके साथी उन्हें फोन पर निर्देश देते थे कि नौकरी के बहाने युवाओं को भारत बुलाएं और उनसे पैसे वसूलकर कंपनी के खाते में जमा कराएं।
एसएसपी मिश्रा ने कहा कि अगर जांच में आरोप सही पाए जाते हैं तो चेतन हांडा के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।