उत्तराखंड के उधम सिंह नगर जिले के काशीपुर में रविवार देर रात माहौल अचानक बिगड़ गया। बिना अनुमति के सड़क पर जुलूस निकाल रहे कुछ लोगों और पुलिस के बीच टकराव हो गया। मामला इतना बढ़ा कि भीड़ ने पुलिसकर्मियों के साथ हाथापाई की और डायल-112 गाड़ी पर पथराव कर दिया। इस घटना के बाद शहर में तनाव का माहौल बन गया है।
बिना अनुमति के निकला जुलूस
रविवार रात करीब 10 बजे शहर के अलीखां इलाके में कुछ लोग “आई लव मोहम्मद” के नारे लगाते हुए जुलूस निकाल रहे थे। पुलिस का कहना है कि इस आयोजन की कोई अनुमति प्रशासन से नहीं ली गई थी। स्थानीय लोगों ने इस पर पुलिस कंट्रोल रूम (डायल-112) को सूचना दी।
सूचना पाकर मौके पर पहुंचे दो पुलिसकर्मियों ने भीड़ को रोकने की कोशिश की। लेकिन जुलूस में शामिल लोग उग्र हो गए और पुलिस पर ही हमला बोल दिया।
पुलिसकर्मियों पर हमला और पथराव
जुलूस को रोकते ही माहौल बेकाबू हो गया।
- भीड़ ने पुलिसकर्मियों के साथ मारपीट शुरू कर दी।
- पुलिस की 112 गाड़ी पर पथराव किया गया, जिससे गाड़ी के शीशे टूट गए।
- हालात बिगड़ते देख पुलिसकर्मी गाड़ी को रिवर्स गियर में डालकर किसी तरह वहां से निकले।
बाद में एएसपी अभय प्रताप सिंह अतिरिक्त फोर्स के साथ मौके पर पहुंचे और स्थिति को संभाला।
आधा दर्जन लोग हिरासत में
पुलिस ने इस मामले में करीब आधा दर्जन लोगों को हिरासत में लिया है। अधिकारियों का कहना है कि सबूत जुटाए जा रहे हैं और जल्द ही दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। एएसपी ने साफ किया कि अराजकता को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
काशीपुर का सामाजिक संदर्भ
काशीपुर उधम सिंह नगर का एक ऐसा इलाका है जहां विभिन्न समुदायों की आबादी रहती है। यहां समय-समय पर धार्मिक आयोजनों को लेकर संवेदनशील हालात बनते रहे हैं। ऐसे में बिना अनुमति निकाले गए जुलूस स्वाभाविक रूप से तनाव को जन्म देते हैं।
एक स्थानीय निवासी ने बताया कि रात के समय अचानक भीड़ जमा होना और नारेबाजी करना आम लोगों के लिए डर का कारण बन जाता है। “हमें अपने बच्चों और परिवार की सुरक्षा की चिंता हो जाती है,” उन्होंने कहा।
निष्कर्ष
काशीपुर की यह घटना हमें याद दिलाती है कि सामाजिक सौहार्द बनाए रखना सभी की जिम्मेदारी है। धार्मिक या सामाजिक आस्था जताने का अधिकार सबको है, लेकिन यह तभी तक सही है जब तक वह कानून के दायरे में हो। पुलिस और प्रशासन का काम है कानून-व्यवस्था संभालना, जबकि जनता का कर्तव्य है कि वह सहयोग करे।
उत्तराखंड जैसे शांतिप्रिय राज्य में ऐसी घटनाएं दुर्भाग्यपूर्ण हैं। सरकार और प्रशासन को चाहिए कि ऐसे मामलों में कड़ी कार्रवाई करे और भविष्य में अनुमति के बिना किसी भी तरह के जुलूस या रैली को रोकने के लिए सख्त व्यवस्था लागू करे।