Tehri Lake: मानसून में झमाझम बारिश से लबालब हुई टिहरी झील, जल्द अधिकतम क्षमता तक भर जाएगा पानी

Rishab Gusain
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उत्तराखंड का गौरव कही जाने वाली टिहरी झील इस समय अपनी पूरी खूबसूरती और शक्ति के साथ नजर आ रही है। लगातार हो रही मानसूनी बारिश ने झील का जलस्तर इतना बढ़ा दिया है कि आने वाले कुछ ही दिनों में यह अपनी अधिकतम क्षमता 830 आरएल (रीवर लेवल) तक पहुंच जाएगी।

टीएचडीसी (Tehri Hydro Development Corporation) के अनुसार फिलहाल झील का जलस्तर 826.11 आरएल तक पहुंच चुका है और अब केवल 3 मीटर पानी और समा सकता है।

टिहरी झील का इतिहास और महत्व

वर्ष 2005 में जब टिहरी बांध पूरी तरह बनकर तैयार हुआ, तो भागीरथी और भिलंगना नदियों के संगम पर बनी यह विशाल झील सामने आई। लगभग 42 वर्ग किलोमीटर में फैली यह झील एशिया की सबसे बड़ी मानव निर्मित झीलों में से एक है।

2010 और 2013 में मानसून के दौरान झील ने अपने उच्चतम जलस्तर को छुआ था और तब बिजली उत्पादन के साथ-साथ नियंत्रित तरीके से पानी छोड़ा गया था।

मौजूदा स्थिति – मानसून ने बढ़ाई रौनक

इस साल मानसून ने टिहरी झील को एक बार फिर पानी से भर दिया है।

  • झील में रोजाना लगभग 1200 क्यूमेक्स पानी प्रवेश कर रहा है।
  • इसमें से 500 क्यूमेक्स भागीरथी, 400 क्यूमेक्स भिलंगना और 300 क्यूमेक्स अन्य सहायक नदियों से आ रहा है।
  • अधिक पानी आने के कारण टीएचडीसी को ऊपरी हिस्से में बने अनगेटेड सॉफ्ट स्पिलवे से पानी छोड़ना पड़ रहा है।
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टीएचडीसी के अधिशासी निदेशक एल.पी. जोशी ने स्पष्ट किया है कि झील की हर समय निगरानी की जा रही है और वर्तमान में जलस्तर से किसी भी तरह का खतरा नहीं है।

बिजली उत्पादन में बढ़ोतरी

झील में पानी बढ़ने का सीधा फायदा बिजली उत्पादन पर पड़ रहा है।

  • फिलहाल टिहरी बांध, पीएसपी परियोजना और कोटेश्वर बांध से मिलाकर लगभग 1986 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा रहा है।
  • अगले दो-तीन महीनों में पीएसपी परियोजना पूरी होने के बाद यह उत्पादन क्षमता बढ़कर 2400 मेगावाट तक पहुंचने की उम्मीद है।

इससे राज्य ही नहीं बल्कि पूरे उत्तर भारत की ऊर्जा आपूर्ति और मजबूत होगी।

स्थानीय नजरिया और पर्यटन पर असर

टिहरी झील सिर्फ बिजली उत्पादन या जलस्रोत तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आज पर्यटन का भी केंद्र बन चुकी है।

  • वाटर स्पोर्ट्स (जैसे बोटिंग, जेट-स्की, पैरासेलिंग) की वजह से झील स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार का बड़ा जरिया बनी है।
  • मानसून के दिनों में जब झील पानी से भर जाती है, तो उसका दृश्य मन मोह लेने वाला होता है।
  • टिहरी झील महोत्सव जैसे कार्यक्रम यहां की पहचान बन चुके हैं।

हालांकि, झील के जलस्तर में अचानक बढ़ोतरी लोगों को 2013 की आपदा की याद भी दिला देती है। मगर विशेषज्ञों का कहना है कि अब बांध और झील की सुरक्षा प्रणाली पहले से कहीं अधिक बेहतर और आधुनिक है।

निष्कर्ष

टिहरी झील इस समय अपनी क्षमता के करीब है और आने वाले दिनों में पूरी तरह भर जाएगी। अच्छी बात यह है कि इसका जलस्तर नियंत्रित तरीके से संभाला जा रहा है।

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आने वाले वक्त में टिहरी न सिर्फ बिजली उत्पादन का बड़ा केंद्र बनेगी, बल्कि उत्तराखंड के पर्यटन और अर्थव्यवस्था का भी मजबूत स्तंभ साबित होगी।

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Rishab Gusain is a Digital Marketing Executive and skilled content writer from Dehradun, Uttarakhand. With experience working for several national and international brands, he has helped businesses achieve remarkable organic growth through his strategic digital marketing approach. Deeply connected to his roots, Rishab is passionate about showcasing the rich culture, travel destinations, and traditions of Uttarakhand. His engaging content has attracted a growing readership, hitting over 10,000 visits in just two months.
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