लोक गीत बना मुसीबत की वजह: गायक पवन सेमवाल पर मुकदमा, सरकार पर निशाना साधने के आरोप में विवाद
देहरादून: उत्तराखंड के लोकप्रिय गढ़वाली लोक गायक पवन सेमवाल के एक गीत ने विवाद खड़ा कर दिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली सरकार पर बेरोजगारी, शराब की दुकानों और महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों को लेकर निशाना साधने वाले इस गीत को लेकर पुलिस ने गायक के खिलाफ महिलाओं की मर्यादा भंग करने और वैमनस्य फैलाने जैसे गंभीर आरोपों में मुकदमा दर्ज किया है।
देहरादून निवासी मंजू लाल ने शनिवार को पटेल नगर थाने में शिकायत दी कि गीत की एक पंक्ति, जिसमें शराब की दुकानों की बढ़ती संख्या को वेश्यावृत्ति से जोड़ा गया है, उत्तराखंड की महिलाओं का अपमान करती है। उसी रात पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया और दिल्ली में मौजूद गायक सेमवाल को पूछताछ के लिए रविवार को बुलाया गया।
पटेल नगर थाने के प्रभारी निरीक्षक चंद्रभान सिंह अधिकारी ने बताया कि यह मामला भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 196, 353 और 79 के तहत दर्ज किया गया है। पूछताछ के बाद पुलिस ने सेमवाल को BNSS की धारा 35 के तहत नोटिस जारी किया है। इसमें उन्हें कहा गया है कि जब भी पुलिस बुलाए, वे जांच में सहयोग करते हुए उपस्थित हों। साथ ही, उन्हें चेतावनी दी गई है कि आगे से इस तरह की कोई बात या कदम दोहराया गया तो कड़ी कार्रवाई की जा सकती है।
विवादित गीत, जिसका शीर्षक ‘तिन भी नि थामी’ (अर्थ: थोड़ा भी नहीं संभला) है, पहली बार तीन दिन पहले अपलोड हुआ था, लेकिन जल्द ही हटा दिया गया। शनिवार को इसे दोबारा अपलोड किया गया, लेकिन पुलिस कार्रवाई के बाद फिर हटा लिया गया।
सेमवाल और शिकायतकर्ता मंजू लाल से संपर्क करने की कोशिशें नाकाम रहीं, लेकिन सेमवाल ने देहरादून आते समय एक वीडियो में कहा कि उन्हें गीत हटाने के लिए पुलिस की ओर से भारी दबाव डाला गया था।
यह मामला अब राजनीतिक तकरार में भी बदल गया है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कहा, “यह गीत उन मुद्दों को उठाता है, जिन्हें सरकार सुनना ही नहीं चाहती। यह असहमति की आवाज़ को दबाने का प्रयास है।”
वहीं, भाजपा प्रवक्ता मनवीर सिंह चौहान ने पलटवार करते हुए कहा, “राज्य में समग्र विकास हो रहा है। कांग्रेस के पास कोई मुद्दा नहीं है, इसलिए अब ऐसे गीतों के जरिए केवल कीचड़ उछाला जा रहा है।”