देहरादून – उत्तराखंड में अल्पसंख्यक छात्रों की छात्रवृत्ति में बड़े पैमाने पर घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की जांच में सामने आया है कि प्रदेश के 17 शिक्षण संस्थानों ने 1058 छात्रों के नाम पर करीब 91 लाख रुपये की छात्रवृत्ति हड़प ली है। अब इन कॉलेजों पर एफआईआर दर्ज कराने की तैयारी की जा रही है।
यह घोटाला केंद्र सरकार की अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति योजना के तहत सामने आया है, जिसके तहत आर्थिक रूप से कमजोर मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध और जैन समुदाय के छात्रों को छात्रवृत्ति दी जाती है। इस योजना के तहत प्रदेश के 13 जिलों के 92 कॉलेजों की जांच करवाई गई थी।
जांच में खुलासा
प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण सचिव धीराज गर्ब्याल ने पुष्टि की है कि जांच रिपोर्ट शासन को सौंप दी गई है। रिपोर्ट के अनुसार, 17 संस्थानों ने छात्रों के फर्जी या गलत दस्तावेजों के आधार पर छात्रवृत्ति का पैसा लिया। इन संस्थानों में छात्रों के रजिस्ट्रेशन और बैंक विवरण में भी भारी गड़बड़ियाँ पाई गईं।
कौन-कौन से जिले हैं शामिल?
चार जिलों में स्थित कॉलेजों पर घोटाले में शामिल होने का आरोप है:
- उधम सिंह नगर – 6 संस्थान
- हरिद्वार – 7 संस्थान
- नैनीताल – 2 संस्थान
- रुद्रप्रयाग – 2 संस्थान
इन जिलों के कॉलेजों द्वारा फर्जी छात्रों के नाम पर बार-बार स्कॉलरशिप क्लेम की गई, जिसके चलते राज्य को लाखों का नुकसान हुआ।
देशव्यापी जांच के आदेश
छात्रवृत्ति में हो रही अनियमितताओं को लेकर भारत सरकार के अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने देशभर के राज्यों को जांच के निर्देश दिए थे। उत्तराखंड सरकार ने इसके तहत हर जिले में एसडीएम की अध्यक्षता में जांच समितियां गठित की थीं, जिन्हें एक महीने के भीतर रिपोर्ट सौंपनी थी।हालांकि, सभी जिलों से रिपोर्ट समय पर नहीं आई, जिसके बाद 10 जून को सचिवालय की ओर से जिलाधिकारियों को रिमाइंडर जारी कर अंतिम रिपोर्ट भेजने को कहा गया।
अब क्या होगा?
फिलहाल, अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने 17 कॉलेजों पर एफआईआर दर्ज कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। अधिकारियों का कहना है कि यह सिर्फ शुरुआत है – जांच का दायरा बढ़ने पर और भी संस्थानों की गड़बड़ियां सामने आ सकती हैंअल्पसंख्यक छात्रवृत्ति जैसी कल्याणकारी योजना में भ्रष्टाचार बेहद गंभीर चिंता का विषय है। इससे न केवल deserving छात्रों का भविष्य प्रभावित होता है, बल्कि सरकारी योजनाओं की साख भी दांव पर लग जाती है। अब देखना होगा कि सरकार इस पर कितनी कड़ी कार्रवाई करती है।