उत्तराखंड की राजधानी देहरादून, जो शिक्षा, पर्यटन और शांत वातावरण के लिए जानी जाती है, इन दिनों एक रिपोर्ट की वजह से सुर्खियों में है। हाल ही में जारी NARI 2025 रिपोर्ट में दावा किया गया कि देहरादून महिलाओं के लिए देश के सबसे असुरक्षित शहरों में से एक है। यह खबर आते ही हड़कंप मच गया, लेकिन सरकार और पुलिस ने इस रिपोर्ट को पूरी तरह ग़लत और भ्रामक बताते हुए खारिज कर दिया।
रिपोर्ट में क्या कहा गया?
- रिपोर्ट नेशनल कमीशन फॉर वीमेन (NCW) की मौजूदगी में 28 अगस्त को जारी हुई।
- इसमें 31 शहरों की 12,770 महिलाओं की राय ली गई थी।
- भारत का राष्ट्रीय सुरक्षा स्कोर 65% बताया गया।
- सुरक्षित शहरों में कोहिमा, मुंबई और भुवनेश्वर का नाम आया।
- असुरक्षित शहरों की सूची में दिल्ली, पटना, जयपुर और देहरादून रखे गए।
NCRB डेटा क्या कहता है?
पुलिस ने राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आँकड़े दिखाकर रिपोर्ट की सच्चाई पर सवाल उठाए।
- 2022 में देहरादून:
- महिलाओं के खिलाफ अपराध के 1,205 मामले दर्ज।
- इसमें 184 बलात्कार, 8 दहेज हत्या, 13 आत्महत्या के लिए उकसाने के केस।
- यह पूरे राज्य के मामलों का लगभग 27% है।
- महिलाओं के खिलाफ अपराध के 1,205 मामले दर्ज।
- 2021 में देहरादून:
- कुल 756 मामले, जिनमें 113 बलात्कार और 10 दहेज हत्या शामिल।
- कुल 756 मामले, जिनमें 113 बलात्कार और 10 दहेज हत्या शामिल।
तुलना के लिए, दिल्ली में 2022 में महिलाओं के खिलाफ 14,277 मामले दर्ज हुए। इसके बावजूद देहरादून को उन्हीं शहरों की श्रेणी में रखना कई लोगों को अनुचित लग रहा है।
राजनीतिक रंगत भी मिली
इस रिपोर्ट पर राजनीति भी तेज हो गई।
- कांग्रेस अध्यक्ष करण महरा ने कहा कि अगर राजधानी ही सुरक्षित नहीं, तो पहाड़ और मैदान की बेटियों का क्या होगा?
- वहीं BJP नेताओं ने इस रिपोर्ट को “बिना तथ्य वाली राजनीतिक चाल” करार दिया।
देहरादून का सामाजिक पहलू
देहरादून अब तक एक शांत और पढ़ाई के लिए सुरक्षित शहर के रूप में पहचाना जाता रहा है। यहां हजारों छात्र पढ़ाई और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए आते हैं। लेकिन सच्चाई यह भी है कि
- रात में पब्लिक ट्रांसपोर्ट की कमी,
- सुनसान जगहों पर लाइट की समस्या,
- छात्राओं से छेड़छाड़ जैसी घटनाएं
सरकार के प्रयास
- गौरा शक्ति ऐप को अब तक 1.25 लाख महिलाओं ने डाउनलोड किया है (सिर्फ देहरादून में 16,649)।
- CCTV कैमरों का दायरा बढ़ाया जा रहा है।
- हेल्पलाइन और पुलिस पेट्रोलिंग को भी मजबूत किया गया है।
निष्कर्ष
NARI 2025 रिपोर्ट ने भले ही विवाद खड़ा कर दिया हो, लेकिन इसने यह याद दिलाया कि महिलाओं की सुरक्षा सिर्फ आंकड़ों से नहीं, बल्कि उनके वास्तविक अनुभवों से तय होती है।
देहरादून को सुरक्षित बनाए रखने के लिए सरकार, पुलिस और समाज – तीनों को मिलकर काम करना होगा। यह सिर्फ एक शहर की छवि का सवाल नहीं, बल्कि हर बेटी और बहन के आत्मविश्वास का मामला है।