देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को अधिकारियों को जबरन धर्मांतरण से जुड़े मामलों में की गई कार्रवाई की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। उन्होंने सभी जिलों में संदिग्ध व्यक्तियों की पहचान के लिए अभियान चलाने और उनके आधार तथा अन्य दस्तावेजों का सत्यापन करने के निर्देश भी दिए। धार्मिक रूपांतरण मामलों पर सख्ती: धामी ने मांगी रिपोर्ट, संदिग्धों की जांच के निर्देश
धामी ने कहा कि राज्य में अवैध गतिविधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई है और कड़े कानून लागू किए गए हैं। उन्होंने बताया कि जबरन धर्मांतरण के मामलों में अब तक क्या कदम उठाए गए हैं, इसकी जानकारी के लिए रिपोर्ट मांगी गई है।
नवंबर 2022 में उत्तराखंड सरकार ने “उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक, 2022” लागू किया था, जिसके तहत अवैध धर्मांतरण को संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध बनाया गया। इसके तहत दो से दस साल की सजा और ₹25,000 से ₹10 लाख तक का जुर्माना हो सकता है। इससे पहले यह सजा एक से सात साल की थी।
मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिए कि आधार और अन्य सरकारी दस्तावेजों के जारी होने के दौरान कड़ी जांच हो और किसी भी तरह की लापरवाही पर संबंधित कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
इसके साथ ही उन्होंने अतिक्रमण के खिलाफ चल रहे अभियान को जारी रखने, खाली कराई गई जमीनों पर दोबारा कब्जा न होने देने, ‘शत्रु संपत्तियों’ की स्थिति का विस्तृत मूल्यांकन करने और रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए।
धामी ने निर्माण कार्यों में स्थानीय श्रमिकों को प्राथमिकता देने, भवनों में राज्य की सांस्कृतिक पहचान और पारंपरिक पर्वतीय वास्तुकला को शामिल करने तथा सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने के लिए भी निर्देश जारी किए।