दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे जुलाई 2025 तक होगा शुरू: 6 घंटे की यात्रा अब सिर्फ 2.5 घंटे में, एशिया का सबसे बड़ा वाइल्डलाइफ कॉरिडोर होगा शामिल

Yogita Thulta
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नई दिल्ली/देहरादून:
210 किलोमीटर लंबा दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे जुलाई 2025 तक आम जनता के लिए खुल जाएगा। इसके शुरू होते ही दिल्ली से देहरादून का सफर, जो अभी करीब 6.5 घंटे में पूरा होता है, अब सिर्फ 2.5 घंटे में पूरा होगा। इस हाईवे का एक और खास पहलू यह है कि इसमें एशिया का सबसे बड़ा वन्यजीव गलियारा (Wildlife Corridor) बनाया गया है, जो पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है।

यह ₹12,000 करोड़ की लागत वाली परियोजना है, जो दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के बीच यात्रा, पर्यटन और व्यापार को नया आयाम देगी।

यात्रा और अर्थव्यवस्था के लिए गेम-चेंजर

यह एक्सप्रेसवे दिल्ली के अक्षरधाम से शुरू होकर बागपत, शामली और सहारनपुर होते हुए देहरादून तक जाएगा। इसमें 113 अंडरपास, 5 रेलवे ओवरब्रिज, 76 किलोमीटर सर्विस रोड, 16 एंट्री-एग्जिट पॉइंट और 29 किलोमीटर एलिवेटेड रोड शामिल हैं।

दटकाली में 340 मीटर लंबी सुरंग इसका एक खास आकर्षण है, जो पहाड़ी इलाके में बिना रुकावट यात्रा को संभव बनाएगी। पूरे रूट पर 100 किमी/घंटा की रफ्तार से सफर किया जा सकेगा।

एनएचएआई के क्षेत्रीय अधिकारी मोहम्मद सैफी ने कहा, “अधिकांश निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। अब अंतिम गुणवत्ता जांच चल रही है, और हम जुलाई की शुरुआत तक एक्सप्रेसवे खोलने की उम्मीद कर रहे हैं।”

पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता

इस परियोजना में राजाजी नेशनल पार्क जैसे इको-सेंसिटिव ज़ोन में वन्यजीवों के लिए स्पेशल अंडरपास और फेंसिंग की व्यवस्था की गई है, जिससे जानवर सुरक्षित तरीके से सड़क पार कर सकें। यह ह्यूमन-एनिमल कॉन्फ्लिक्ट को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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चुनौतियों के बावजूद तेज़ प्रगति

हालांकि परियोजना को कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ा—जैसे कि गाजियाबाद के मंडोला में भूमि अधिग्रहण को लेकर मामला कोर्ट में लंबित है, और सहारनपुर में एक पिलर गिरने की घटना हुई थी—फिर भी कार्य में ज़्यादा देरी नहीं हुई।

लॉजिकल इंडियन का नज़रिया

यह एक्सप्रेसवे दिखाता है कि भारत कैसे लोगों की ज़रूरतों और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन बना सकता है। यह परियोजना न केवल तेज़ यात्रा सुनिश्चित करेगी बल्कि वन्यजीवों की सुरक्षा और पर्यावरणीय संतुलन को भी प्राथमिकता देती है। भविष्य में ऐसी परियोजनाओं के लिए यह एक उदाहरण बनेगी।

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