देहरादून:
देहरादून स्थित महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज में रैगिंग का एक गंभीर मामला सामने आया है। आठवीं कक्षा के छात्र के साथ लगातार शारीरिक और मानसिक शोषण किए जाने की शिकायत के बाद कॉलेज प्रशासन ने चार छात्रों को निलंबित कर दिया है। लेकिन पीड़ित छात्र के पिता ने कॉलेज प्रबंधन पर मामला दबाने का आरोप लगाते हुए बेटे को कॉलेज से निकालने का फैसला किया है।
एक साल से जारी था शोषण
पीड़ित छात्र के पिता के मुताबिक, उनके बेटे को कॉलेज में दाखिले के बाद से ही सीनियर छात्र परेशान कर रहे थे। एक साल पहले भी उनके बेटे के साथ आपत्तिजनक हरकत हुई थी, जिसकी शिकायत कॉलेज कोच पंकज रावत से की गई थी। उस वक्त आरोपित छात्रों ने माफी मांग ली थी, लेकिन कुछ समय बाद फिर वही व्यवहार दोहराया गया।
मारपीट, धमकी और पैसे की मांग
पीड़ित छात्र के अनुसार, सीनियर छात्र काम करवाने, पैसे मांगने और कमरे से निकालने की धमकी देने लगे थे। जब वह उनकी बात नहीं मानता, तो मारपीट की जाती थी। इन घटनाओं के बावजूद कॉलेज प्रशासन ने समय रहते कोई सख्त कार्रवाई नहीं की, जिससे परिजन बेहद नाराज़ हैं।
कॉलेज प्रशासन ने छात्र को बताया ‘कमजोर’
कॉलेज के प्रधानाचार्य राजेश ममगाईं ने घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पीड़ित छात्र शारीरिक रूप से कमजोर है और 2400 मीटर की दौड़ भी पूरी नहीं कर पाता। 30 मार्च को हुई अभिभावक बैठक में छात्र के प्रदर्शन पर चर्चा की गई थी। उन्होंने कहा कि मामले की जांच एंटी-रैगिंग कमेटी कर रही है, जिसमें उप-प्रधानाचार्य, खेल प्रभारी और कोच शामिल हैं।
कॉलेज कराएगा काउंसलिंग, रद्द नहीं होगा पंजीकरण
प्रधानाचार्य ने यह भी कहा कि छात्र का पंजीकरण रद्द नहीं किया जाएगा। कॉलेज उसकी काउंसलिंग कराकर पढ़ाई जारी रखने के प्रयास करेगा और उसे सुरक्षा व सुविधाएं दी जाएंगी ताकि वह सुरक्षित माहौल में पढ़ सके।
आरोपित छात्र उत्तराखंड के अलग-अलग जिलों से
रैगिंग के आरोप में जिन चार छात्रों को निलंबित किया गया है, वे पिथौरागढ़, हल्द्वानी और हरिद्वार जिलों से हैं। इनमें से एक 12वीं कक्षा, एक 9वीं और दो 8वीं कक्षा के छात्र हैं। कॉलेज प्रशासन ने शुक्रवार को उनके माता-पिता को तलब किया है, जहां मामले पर विस्तार से चर्चा होगी।यह मामला न केवल एक छात्र के भविष्य से जुड़ा है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि शैक्षणिक संस्थानों में रैगिंग की समस्या अभी भी गंभीर बनी हुई है। ऐसे मामलों में सख्त और पारदर्शी कार्रवाई आवश्यक है ताकि पीड़ित छात्र न्याय पा सके और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके।