उत्तराखंड में हर साल लाखों श्रद्धालु चारधाम यात्रा के लिए आते हैं। इनमें से बड़ी संख्या ऐसे लोगों की होती है जो कठिन पहाड़ी रास्तों की वजह से हेलीकॉप्टर सेवा को प्राथमिकता देते हैं। लेकिन इस बार इन श्रद्धालुओं को जेब ढीली करनी पड़ेगी, क्योंकि हेली सेवाओं के किराए में 46% तक की बढ़ोतरी कर दी गई है।
क्यों बढ़ा किराया?
उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण (यूकाडा) के सीईओ आशीष चौहान ने बताया कि इस साल हेली यात्रियों की संख्या में करीब 30% तक कटौती की गई है। कम यात्रियों के साथ संचालन खर्च बढ़ जाने के कारण किराए में बढ़ोतरी करना जरूरी हो गया।
इसके अलावा, हेली सेवाओं की मांग हर साल बढ़ती जा रही है। खासकर बुजुर्ग श्रद्धालु और दूर-दराज़ से आने वाले यात्री पैदल यात्रा की बजाय हेलीकॉप्टर का विकल्प चुनते हैं। यही वजह है कि कंपनियों पर दबाव भी रहता है कि वे सीमित संसाधनों के साथ सेवा को बनाए रखें।
कब से शुरू होंगी सेवाएं?
यूकाडा के अनुसार, 15 सितंबर से हेली सेवाएं शुरू करने की तैयारी की जा रही है। फिलहाल नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) से अंतिम अनुमति का इंतजार है।
कितना बढ़ा किराया?
इस बार के किराए की दरें श्रद्धालुओं को चौंका सकती हैं।
- सिरसी से केदारनाथ – पहले 6,060 रुपये का किराया था, जो अब बढ़कर 8,839 रुपये कर दिया गया है।
- फाटा से केदारनाथ – पहले 6,062 रुपये लिया जाता था, लेकिन अब यह 8,842 रुपये हो गया है।
- गुप्तकाशी से केदारनाथ – पहले 8,532 रुपये का किराया था, जबकि अब यात्रियों को 12,444 रुपये चुकाने होंगे।
स्पष्ट है कि यात्रियों को अब पहले की तुलना में काफी ज्यादा रकम चुकानी होगी।
आर्थिक पहलू और स्थानीय प्रभाव
हेली सेवाओं का बढ़ता दाम जहां श्रद्धालुओं की जेब पर असर डालेगा, वहीं स्थानीय अर्थव्यवस्था पर भी इसका प्रभाव देखने को मिलेगा।
- एक ओर होटल, गेस्ट हाउस और स्थानीय दुकानें हेली सेवाओं से बढ़ते पर्यटन का फायदा उठाएंगी।
- दूसरी ओर, यह बढ़ोतरी उन यात्रियों को हतोत्साहित भी कर सकती है जो सीमित बजट में यात्रा की योजना बनाते हैं।
गुप्तकाशी, फाटा और सिरसी जैसे क्षेत्र, जो हेली सेवाओं के प्रमुख केंद्र हैं, अब और महंगे पड़ जाएंगे।
निष्कर्ष
चारधाम यात्रा में इस बार हेलीकॉप्टर से दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं को 46% तक ज्यादा खर्च करना पड़ेगा। 15 सितंबर से सेवाएं शुरू होने की संभावना है और 10 सितंबर से बुकिंग ऑनलाइन खुल जाएगी।
यह फैसला एक ओर यात्रा को सुगम बनाने की कोशिश है, तो दूसरी ओर श्रद्धालुओं के बजट पर बोझ भी डाल रहा है। अब देखना यह होगा कि इस बढ़े हुए किराए के बावजूद हेली सेवाओं की मांग कितनी बनी रहती है।