Mahak Kranti In Uttarakhand: इस राज्य में ‘महक क्रांति’ से हजारों किसानों को मिलेगा रोजगार, पात्रता से लेकर फायदे तक पूरी डिटेल

Rishab Gusain
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Rishab Gusain is a Digital Marketing Executive and skilled content writer from Dehradun, Uttarakhand. With experience working for several national and international brands, he has helped...
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उत्तराखंड सरकार ने किसानों की आय बढ़ाने और पलायन की समस्या को रोकने के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की कैबिनेट ने हाल ही में ‘महक क्रांति नीति’ को मंजूरी दी है। यह योजना प्रदेश के किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं मानी जा रही, क्योंकि इससे न केवल हजारों किसानों को सीधा लाभ मिलेगा, बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था को भी नई दिशा मिलेगी।

क्या है महक क्रांति?

महक क्रांति के तहत राज्य में सुगंधित (Aromatic) और औषधीय फसलों की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। इन फसलों की मांग देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी तेजी से बढ़ रही है। सरकार का मानना है कि आने वाले 10 सालों में इस नीति से राज्य का टर्नओवर 100 करोड़ से बढ़कर 1179 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा।

किसानों के लिए सुनहरा अवसर

इस योजना के तहत किसानों को 80 प्रतिशत तक अनुदान मिलेगा। इसका सीधा फायदा छोटे और मध्यम स्तर के किसानों को होगा, जो कम पूंजी में बड़े स्तर पर उत्पादन कर पाएंगे।

  • योजना के पहले चरण में 22,750 हेक्टेयर भूमि पर काम किया जाएगा।
  • इससे करीब 2.27 करोड़ मानव दिवस रोजगार सृजित होंगे।
  • अनुमान है कि इससे 91 हजार से ज्यादा लोग सीधे रोजगार से जुड़ेंगे।

मेरी नजर में यह कदम सिर्फ कृषि नहीं बल्कि ग्रामीण विकास और स्वरोजगार की दिशा में भी बड़ा बदलाव ला सकता है।

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पात्रता कौन-कौन कर सकते हैं लाभ उठाना?

  • किसान, किसान समूह, सहकारी समितियां, स्वयं सहायता समूह या कंपनियां।
  • भूमि का स्वामित्व या कम से कम 10 साल का पट्टा अधिकार होना जरूरी है।
  • न्यूनतम 5 नाली (0.1 हेक्टेयर) भूमि वाले किसान इसमें शामिल हो सकते हैं।
  • अधिकतम 50 नाली (1 हेक्टेयर) क्षेत्र तक किसानों को 80% अनुदान मिलेगा।

कहां-कहां बनेंगी सुगंधित फसलों की वैली?

उत्तराखंड के अलग-अलग जिलों में इस नीति के तहत विशेष वैलियां बनाई जाएंगी, जो किसानों के लिए केंद्र बिंदु बनेंगी।

  • चमोली (जोशीमठ) और अल्मोड़ा (ताकुला)डैमस्क रोज वैली (2000 हेक्टेयर)
  • चंपावत, लोहाघाट, पाटी और नैनीतालदालचीनी वैली (5200 हेक्टेयर)
  • पिथौरागढ़ (मुन्यासी और बिण)तिमूर वैली (5150 हेक्टेयर)
  • हरिद्वार, पौड़ी (पोखड़ा), देहरादून (डोईवाला, सहसपुर, कालसी, रायपुर)लैमनग्रास वैली (2400 हेक्टेयर)
  • ऊधमसिंह नगर और हरिद्वारमिंट वैली (8000 हेक्टेयर)

यह योजना उत्तराखंड की भौगोलिक और जलवायु परिस्थितियों के हिसाब से बिल्कुल उपयुक्त लगती है। पहाड़ी इलाकों में सुगंधित पौधों की खेती से मृदा क्षरण रुकेगा, मानव-वन्यजीव संघर्ष कम होगा और कार्बन ट्रेडिंग से अतिरिक्त लाभ भी मिलेगा।

किसानों के लिए फायदे

  1. पलायन रुकेगा – गांवों में ही रोजगार मिलने से लोग शहरों की ओर नहीं भागेंगे।
  2. स्थानीय उद्योग का विकास – 500 सूक्ष्म, लघु और मध्यम श्रेणी के प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित होंगे।
  3. अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुंच – सुगंधित फसलों की वैश्विक मांग किसानों को नए बाजार उपलब्ध कराएगी।
  4. पर्यावरणीय लाभ – मिट्टी कटाव रुकेगा और जैव विविधता को बढ़ावा मिलेगा।

निष्कर्ष

‘महक क्रांति’ सिर्फ एक योजना नहीं बल्कि उत्तराखंड की कृषि अर्थव्यवस्था को नई पहचान देने वाली क्रांति है। इससे जहां किसानों की आय दोगुनी होने की संभावना है, वहीं रोजगार सृजन और पलायन रोकने में भी मदद मिलेगी। अगर इसे सही तरीके से लागू किया गया, तो आने वाले वर्षों में उत्तराखंड पूरे देश में सुगंधित फसलों का हब बन सकता है।

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Rishab Gusain is a Digital Marketing Executive and skilled content writer from Dehradun, Uttarakhand. With experience working for several national and international brands, he has helped businesses achieve remarkable organic growth through his strategic digital marketing approach. Deeply connected to his roots, Rishab is passionate about showcasing the rich culture, travel destinations, and traditions of Uttarakhand. His engaging content has attracted a growing readership, hitting over 10,000 visits in just two months.
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