उत्तराखंड: सौर ऊर्जा के माध्यम से महिला सशक्तिकरण

Yogita Thulta
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सीएम धामी ने स्वरोजगार योजना के तहत ‘सोलर सखी’ पहल की शुरुआत की

उत्तराखंड में महिलाओं को सशक्त बनाने और स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को एक अहम पहल की घोषणा की। मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना से जुड़ी महिलाओं को अब ‘सोलर सखी’ के नाम से जाना जाएगा। यह घोषणा मुख्यमंत्री आवास ‘मुख्य सेवक सदन’ में आयोजित विशेष ‘मुख्य सेवक संवाद’ कार्यक्रम के दौरान की गई, जहां सीएम ने योजना से जुड़े डेवलपर्स और लाभार्थियों से बातचीत की।

मुख्यमंत्री ने बताया कि यह पहल राज्य की व्यापक दृष्टि का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देना, सतत आजीविका के साधनों को विकसित करना और महिलाओं के नेतृत्व में उद्यमशीलता को प्रोत्साहित करना है। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि प्रत्येक जिले में सोलर प्लांट के रखरखाव के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे और विकास खंड स्तर पर विशेष शिविर लगाए जाएंगे ताकि योजना के प्रति जागरूकता और भागीदारी को बढ़ाया जा सके।

मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना के तहत राज्य में अब तक 250 मेगावाट क्षमता हासिल की जा चुकी है। सीएम धामी ने कहा, “सौर ऊर्जा न केवल शक्ति का असीम स्रोत है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी अनुकूल है। हम इस क्षमता को और बढ़ाने की दिशा में काम कर रहे हैं।” उन्होंने यह भी बताया कि यह योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2030 तक 500 गीगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन और 2070 तक भारत को कार्बन न्यूट्रल बनाने के लक्ष्य के अनुरूप है।

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राष्ट्रीय स्तर की योजनाएं जैसे पीएम सूर्यगृह योजना, पीएम-कुसुम योजना और अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन भी इस हरित मिशन का हिस्सा हैं।


सब्सिडी और प्रोत्साहन की भरमार

जनभागीदारी को बढ़ाने के लिए इस योजना के तहत कई आकर्षक वित्तीय प्रोत्साहन दिए जा रहे हैं:

  • 20% से 50% तक की सब्सिडी 20 से 200 किलोवाट तक के सोलर प्लांट्स की स्थापना पर
  • महिलाओं, अनुसूचित जाति/जनजाति और दिव्यांगजनों के लिए अतिरिक्त 5% सब्सिडी
  • ऋण पर 4% ब्याज सब्सिडी
  • बिजली विक्रय के लिए यूपीसीएल द्वारा 25 वर्षों के लिए गारंटीकृत पावर परचेज एग्रीमेंट (PPA)
  • आवेदन से आवंटन तक की प्रक्रिया पूरी तरह से डिजिटल और पारदर्शिता सुनिश्चित करने वाले पोर्टल के माध्यम से

जमीनी हकीकत से आवाजें

संवाद सत्र के दौरान कई डेवलपर्स ने अपनी प्रतिक्रियाएं साझा कीं:

  • शैलेन्द्र सिंह (उत्तरकाशी): योजना के जरिए पहाड़ी क्षेत्रों की बंजर भूमि का सही उपयोग हो रहा है।
  • विकास मोहन (चमोली): विकास खंड स्तर पर योजना के प्रचार-प्रसार को बढ़ाने की मांग की।
  • रूपा रानी (पौड़ी): महिलाओं की भूमिका को बढ़ाने के लिए और केंद्रित योजनाएं बनाने की जरूरत जताई।
  • केतन भारद्वाज (चंपावत): सोलर प्लांट रखरखाव के लिए प्रशिक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया।

राज्य सरकार की व्यापक दृष्टि

मुख्यमंत्री धामी ने राज्य सरकार के उन प्रयासों को भी दोहराया जो पलायन को रोकने, स्थानीय अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने और आत्मनिर्भर समुदायों को विकसित करने के उद्देश्य से किए जा रहे हैं। उन्होंने इन पहलों का उल्लेख किया:

  • ‘एक जनपद, दो उत्पाद’ – जिला स्तर पर उत्पादों और रोजगार को बढ़ावा देने के लिए
  • ‘हाउस ऑफ हिमालयाज’ – स्थानीय उत्पादों को राष्ट्रीय स्तर पर ब्रांडिंग और मार्केटिंग देने के लिए
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मजबूत नीतिगत समर्थन, वित्तीय सहयोग और समुदायों को सशक्त बनाने की दृष्टि के साथ, मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना उत्तराखंड में आत्मनिर्भरता और सतत विकास की दिशा में रोशनी की किरण बन रही है।

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