मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में खनन विभाग ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में ₹1100 करोड़ से अधिक का राजस्व अर्जित किया है। इस बात की जानकारी मुख्यमंत्री ने आज विभागीय बैठक के बाद स्वयं दी
मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) के अनुसार, यह उपलब्धि उन लोगों के लिए करारा जवाब है जो मानते थे कि खनन क्षेत्र में पारदर्शिता और ईमानदारी संभव नहीं है।
उत्तराखंड ने खनन क्षेत्र में एक ऐसा रिकॉर्ड बनाया है, जो न सिर्फ आर्थिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह राजनीतिक इच्छाशक्ति, प्रशासनिक पारदर्शिता और जनहित में लिए गए निर्णायक फैसलों का जीता-जागता उदाहरण बन गया है। उत्तराखंड की राजनीति और प्रशासन में ऐसा बदलाव देखा गया है, जिसे नीतिगत क्रांति कहा जा सकता है। राज्य सरकार का कहना है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्णायक और पारदर्शी नेतृत्व में राज्य में वर्षों से चल रहे खनन घोटालों, दलालों और माफिया संस्कृति पर नकेल कसी गई है और इसे समाप्त करने की दिशा में ऐतिहासिक कार्य किए गए हैं।
जहां एक समय खनन क्षेत्र को दलालों, अवैध खनन माफिया और राजनीतिक संरक्षण के घोटालों के लिए जाना जाता था, वहीं अब यह ई-नीलामी, आधुनिक निगरानी और नियम आधारित संचालन का उदाहरण बन गया है। राज्य सरकार के अनुसार, वर्षों तक उत्तराखंड का खनन क्षेत्र घोटालों और माफिया संस्कृति का अड्डा बना रहा। राजस्व कभी ₹300 से ₹335 करोड़ से आगे नहीं बढ़ पाया। अवैध खनन के खिलाफ कार्रवाई तो दूर, उसे संरक्षण मिलता था। लेकिन मुख्यमंत्री धामी ने न सिर्फ इस व्यवस्था को चुनौती दी, बल्कि तकनीकी नवाचार और सशक्त निगरानी प्रणाली की मदद से एक “भ्रष्टाचार मुक्त खनन प्रणाली” स्थापित की।
आज उत्तराखंड का खनन मॉडल देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है। अन्य राज्य भी उत्तराखंड के मॉडल का अध्ययन कर उसे अपनाने की दिशा में कार्य कर रहे हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में उत्तराखंड ने न सिर्फ राज्य के राजस्व को बढ़ाया है, बल्कि एक नए भारत के लिए नीति और नीयत का उदाहरण भी प्रस्तुत किया है।
राजस्व अर्जन की इस दौड़ में मुख्यमंत्री धामी ने यह भी सुनिश्चित किया कि पर्यावरणीय संवेदनशीलता और सांस्कृतिक धरोहर को कोई क्षति न पहुंचे। खनन गतिविधियों को वैज्ञानिक आधार, प्राकृतिक सीमाओं और स्थानीय भागीदारी से जोड़ा गया है।