रामनगर: अल्ट्रा हाई डेंसिटी तकनीक से आम की खेती में तीन गुना बढ़ी आय, देश-विदेश में बढ़ी ‘मल्लिका’ आम की मांग

Yogita Thulta
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देश में कृषि और बागवानी उत्पादन को बेहतर बनाने के लिए नवाचार और आधुनिक तकनीकों को अपनाना आज की जरूरत है। यह बात उत्तराखंड के नैनीताल जिले के रामनगर क्षेत्र के एक बागवानी किसान ने साबित कर दी है।

रामनगर के दीप बेलवाल ने पारंपरिक आम की खेती को अलविदा कहकर अल्ट्रा हाई डेंसिटी (UHD) तकनीक अपनाई और अपनी आमदनी को तीन गुना बढ़ा लिया। उनके बागानों में उगने वाले आम न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी लोकप्रिय हो गए हैं।

बेलवाल बताते हैं कि पारंपरिक खेती में एक एकड़ ज़मीन पर लगभग 40 आम के पेड़ लगाए जाते हैं, जबकि UHD तकनीक से एक एकड़ में 500 से अधिक पेड़ लगाए जा सकते हैं, यानी एक हेक्टेयर में 1,333 पेड़। इससे केवल पेड़ों की संख्या ही नहीं बढ़ी, बल्कि उत्पादन भी तीन गुना हो गया।

उन्होंने UHD तकनीक के तहत ‘मल्लिका’ किस्म को चुना, जिसे भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) ने विकसित किया है। यह किस्म दक्षिण भारत की ‘नीलम’ और उत्तर भारत की प्रसिद्ध ‘दशहरी’ आम की किस्म को मिलाकर बनाई गई है। इसका स्वाद बेहद लाजवाब है और यह भारत सहित कई अन्य देशों में भी पसंद की जा रही है।

बेलवाल ने बताया, “एक पेड़ सालाना 50 से 60 किलो आम देता है और हर आम का वजन आधे किलो से ज्यादा होता है।” पिछले साल उन्होंने इन आमों को ₹70 प्रति किलो के हिसाब से बेचा था। स्वाद के साथ-साथ मल्लिका आम की शेल्फ लाइफ भी लंबी होती है – यह दो हफ्ते तक ताजा बना रहता है।

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UHD तकनीक से तैयार हुए इन आम के पेड़ों की ऊंचाई केवल 7 से 10 फीट होती है, जिससे उनकी देखरेख, छंटाई और कटाई करना आसान हो जाता है। बेलवाल कहते हैं कि ‘कैनोपी मैनेजमेंट’ इस तकनीक का सबसे अहम पहलू है। यदि इसकी सही देखरेख न की जाए तो पूरा बाग जंगल बन सकता है।

उन्होंने बताया, “पेड़ की कम ऊंचाई के कारण किसान खुद ही बैगिंग, कटाई और रख-रखाव कर सकता है। इससे फल के गिरने का खतरा नहीं रहता और क्वालिटी भी बनी रहती है, जिससे बाजार में अच्छा दाम मिलता है।”

बेलवाल का परिवार 1880 से खेती करता आ रहा है। परंपरा को कायम रखते हुए उन्होंने आधुनिकता को अपनाया। उन्होंने कहा, “समय के साथ हमने भी खेती के तरीके बदले। UHD तकनीक ने हमारी मेहनत को सही दिशा दी।”

उन्होंने बताया कि इस तकनीक को अपनाने की प्रेरणा उन्हें डॉ. संतराम से मिली, जिन्होंने पंतनगर स्थित गोविंद बल्लभ पंत कृषि विश्वविद्यालय में उन्हें और अन्य किसानों को प्रशिक्षण दिया। उन्होंने इस तकनीक से दो हेक्टेयर जमीन पर 2,650 से अधिक पेड़ लगाए हैं।

शुरुआत में यह एक बड़ा निवेश लग रहा था, लेकिन जो फायदे मिले हैं, उन्होंने इस निवेश को पूरी तरह सफल बना दिया। अब वह अन्य बागवानी किसानों को भी इस तकनीक को अपनाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

रामनगर के बागवानी अधिकारी अर्जुन सिंह परवाल ने बताया, “बेलवाल द्वारा UHD तकनीक से की गई आम की खेती दूसरों के लिए मिसाल है। यह दर्शाता है कि किसान अगर नई तकनीकों को अपनाएं तो कम ज़मीन से भी बेहतर उत्पादन लिया जा सकता है।”

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